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कहानी संग्रह >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

2

कमली

‘दुष्ट... निगोड़ी... तेरे मुंह नै फोड़ दयूंगी...’ गुस्साई माँ ने कमली के हाथ से बूंदी का लड्डू छीन लिया जिसे वह अभी-अभी भीख में माँगकर लायी थी...।‘

‘कभी कमलू के लिए भी कुछ बचाकर रखाकर... तेरा पेट है या झेरा...।’ झोपड़ी से निकलते हुए माँ का स्वर अधिक तीखा हो गया था...। कमलू के पांव धोने के लिए गरम पानी रख दे, मैं उसको ढूंढ कर लाती हूं।’

सुबकती हुई कमली को बाहर जाती माँ के पैरों में पड़ी बिवाइयां दिखाई दीं। अपने पांवों में पड़ी बिवाइयों का दर्द भूलकर वह भाई के पांव धोने के लिए पानी गरम करने लगी।


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