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मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

75

तालियां


नृत्यागंना कामनी का नृत्य समाप्त होने से पूर्व तालियां बजने लगीं और देर तक बजती रहीं।

इससे अधिक तालियां तब बजीं जब उदघोषक ने मंच से बताया कि कामनी ने अपने नृत्य की प्रस्तुति एक पांव से की है, क्योंकि इनका दूसरा पांव पोलियो पीडि़त है।

सबसे अधिक तालियां तब बजीं जब मंच से कामनी के लिए प्रथम पुरस्कार की घोषणा हुई।

वह बिना वैसाखियों के धीरे-धीरे चलकर मंच पर आयी-’मेरे प्यारे दर्शको, जादू हो गया जो भगवान के हाथ में था वो आपकी तालियों ने कर दिया। मेरा अपंग पांव जमीन पर जमने लगा है... सचमुच एक कलाकार के लिए इससे बड़ा पुरस्कार, सम्मान हो ही नहीं सकता...।

फिर हाल में इतनी तालियां बजी की नृत्यांगना की आवाज उनमें खो गयी।


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