लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी

रवि कहानी

अमिताभ चौधुरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9841
आईएसबीएन :9781613015599

Like this Hindi book 0

रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी


सन् 1924 में दक्षिण अमरीका के सफर में कवि काफी बीमार पड़ गए। रवीन्द्रनाथ की एक प्रशंसिका विक्टोरिया ओकाम्पो की सेवा से उनकी तबीयत सुधरी।

21 जुलाई सन् 1924 को कलकत्ता लौटते ही उन्हें पेरू की आजादी की सौवीं सालगिरह के जलसे में भाग लेने के लिए दक्षिण अमरीका से बुलावा आया। रवीन्द्रनाथ फिर विदेश रवाना हुए। उनकी इच्छा थी कि जाते समय वे इजराइल भी होते चले। लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने फ्रांस से दक्षिण अमरीका का अर्जेन्टीना जाने वाला जहाज पकड़ा। उस बार उनके साथ उनके सचिव के रूप में एलमहर्स्ट थे। राजधानी व्यूनस आयर्स में पहुंचते-पहुंचते रवीन्द्रनाथ बीमार हो गए। डाक्टरों ने कहा कि ऐसी हालत में पेरू जाना ठीक नहीं। इसलिए उन्हें अर्जेन्टीना में रुकना पड़ा। संयोग से वहीं उनकी एक प्रशंसिका, धनी और पढ़ी-लिखी महिला विक्टोरिया ओकाम्पो से भेंट हुई। कवि उनके अतिथि के रूप में साम इसिप्रो नामक जगह के एक हरे-भरे बंगले मे ठहरे। वहां ओकाम्पो से रवीन्द्रनाथ की और ज्यादा निकटता हुई। रवीन्द्रनाथ के प्रेम में ओकाम्पो ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। रवीन्द्रनाथ ने उन्हें बांग्ला का एक शब्द सिखाया -''भालोबासा'' (प्रेम)। ओकाम्पो वहां से कवि को चापाद सलाल नामक एक दूसरी जगह ले गईं। उनकी सेवा और देखभाल से रवीन्द्रनाथ के लिए वे दिन मधुरता से भर गए। ओकाम्पो से कवि का यह प्रेम जीवन भर बना रहा। वे साम इसिप्रो में जिस सोफे पर बैठते थे, वह शांतिनिकेतन के रवीन्द्र सदन में आज भी रखा हुआ है। रवीन्द्रनाथ ने ''पुजारी'' नामक अपनी किताब ओकाम्पो को भेंट की थी। उसमें उन्होंने लिखा था -

विदेश के प्रेम भाव से
जिस प्रेयसी ने बिछा दिया आसन
हर दिन रात में कानों में
गूंजता है उसी का भाषण।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book