व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्रश्रीराम शर्मा आचार्य
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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है
सफलता के पाँच सूत्र
जीवन में सफलता पाने के जितने साधन बतलाए गए हैं, उनमें विद्वानों ने पाँच साधनों को प्रमुख स्थान दिया है। जो मनुष्य अपने में इन पाँच साधनों का समावेश कर लेता है, वह किसी भी स्थिति का क्यों न हो, अपनी वांछित सफलता का वरण अवश्य कर लेता है। ये पाँच साधन हैं - परिश्रम एवं पुरुषार्थ, आत्मविश्वास एवं बलिदान, स्नेह एवं सहानुभूति, साहस एवं नियमितता, प्रसन्नता एवं मानसिक संतुलन।
( 1 ) परिश्रम एवं पुरुषार्थ - दीपक जलता है, संसार को प्रकाश देता है और श्रेय के रूप में सफलता प्राप्त करता है। दीपक की इस सफलता का रहस्य यही तो है कि वह अपने तेल तथा बत्ती को तिल-तिलकर जलाता रहता है। उसका प्रकाश वस्तुत: उसकी उस निरंतरता, ज्वलनशीलता का ही होता है, जिसको वह लौ के रूप में बत्ती से प्रकट करता है। दीपक का कर्त्तव्य जलना है। जिस समय भी वह अपने इस कर्त्तव्य से विरत होकर निष्क्रिय हो जाता है, प्रकाश रूपी सफलता उससे दूर चली जाती है। वह एक मूल्यहीन मिट्टी के पात्र से अधिक कुछ नहीं रह जाता।
इसी प्रकार जो मनुष्य अपने शरीर का सार परिश्रमरूपी तप में खरच करते हैं, अपनी शक्तियों तथा क्षमताओं का समुचित उपयोग करते हैं, वे आलोक पाकर कृतकृत्य हो जाते हैं। सक्रियता ही जीवन है और निष्क्रियता ही मृत्यु। श्रम से विरत रहकर आलस्य अथवा प्रमाद में पड़े रहने वाले मनुष्य को जीवित नहीं कहा जा सकता।
( 2 ) आत्मविश्वास एवं बलिदान - आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से हीन व्यक्ति की कोई सहायता सहयोग भी नहीं करता। नियम है कि लोग उसी की सहायता किया करते हैं, जो अपनी सहायता आप किया करता है और जिसका हृदय आत्म- विश्वास की भावना से ओत-प्रोत है।
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