व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> उन्नति के तीन गुण-चार चरण उन्नति के तीन गुण-चार चरणश्रीराम शर्मा आचार्य
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समस्त कठिनाइयों का एक ही उद्गम है – मानवीय दुर्बुद्धि। जिस उपाय से दुर्बुद्धि को हटाकर सदबुद्धि स्थापित की जा सके, वही मानव कल्याण का, विश्वशांति का मार्ग हो सकता है।
हेलन केलर अंधी, बहरी, गूंगी तीनों ही व्यथाओं से पीड़ित थी, पर अपनी सूझबूझ और संकल्पबल के सहारे शिक्षा प्राप्ति का कोई न कोई तरीका निकालती रही और बुद्धिकौशल के सहारे सफल होती रही। उसने अंग्रेजी में एम. ए. पास किया, साथ ही अन्य भाषाओं, लैटिन, फ्रेंच, जर्मनी आदि में भी प्रवीण थी। घरेलू काम भी भली-भांति कर लेती थी।
उसने कुशलता का उपयोग अपने लिए ही नहीं किया, वरन अपंगों की शिक्षा तथा स्वावलंबन के लिए सारे संसार में भ्रमण करके करोड़ों रुपया एकत्रित किया। उनकी विद्या से प्रभावित होकर कितने ही विश्वविद्यालयों ने डाक्टरेट की मानद् उपाधि दी। लोग उसे देखकर संसार का आठवाँ आश्चर्य कहते। स्मरण रहे बुराइयाँ संघर्ष के बिना जाती नहीं और संघर्ष के लिए साहस अपनाना अनिवार्य होता है। सभी जानते हैं कि बहादुरों की अपेक्षा कायरों पर आततायियों के आक्रमण हजार गुने अधिक होते हैं। कठिनाइयों से पार पाने और प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिए साहस ही एक मात्र ऐसा साथी है, जिसको साथ लेकर तुम अकेले भी दुर्गम दीखने वाले पथ पर चल पड़ने और लक्ष्य तक पहुँचने में समर्थ हो सकते हो।
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