लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग

वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9848
आईएसबीएन :9781613012772

Like this Hindi book 0

मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।

मोक्ष का स्थान अंत में आता है। यह हमें तभी प्राप्त हो सकेगा जब हमारा अर्थ व काम दोनों ही धर्म से संचालित होंगे। तभी चारों ओर सुखशांति का साम्राज्य होगा। धर्मानुसार आचरण न करने पर हमें अर्थ-सुख तो मिल सकता है, पर मन के कलुष व अशांति के अतिरेक में मोक्ष कहाँ मिलेगा? बाह्य दृष्टि से हम भले ही धनधान्य, वैभव व संपन्नता से परिपूर्ण दिखाई दें परंतु अनगढ़, असभ्य और असंस्कृत होने से हम आर्थिक दृष्टि से भी कहीं अधिक घाटे में रहते हैं। दरिद्रता वस्तुतः असभ्यता की प्रतिक्रिया मात्र ही है। आलसी, प्रमादी, दुर्गुणी, दुर्व्यसनी मनुष्य या तो उचित अर्थोपार्जन कर ही नहीं पाते और यदि कुछ अर्जित भी कर लेते हैं तो उसे नशेबाजी व अन्य फिजूलखर्चियों मे नष्ट कर देते हैं मन में हर समय अशांति व भय बना रहता है। ऐसे में मोक्ष की कल्पना रात्रि में सूरज की खोज के समान है।

आज मनुष्य के मानसिक संताप तथा समाज में व्याप्त अनेकानेक बुराइयों, आधि-व्याधियों का मूल कारण ही यह है कि हमने पुरुषार्थ चतुप्टय की इस स्वर्ण नसेनी को खंडित कर दिया है, उसकी पवित्रता भंग कर दी है। धर्म के वास्तविक शाश्वत स्वरूप को तिलांजलि दे दी है। धर्म विमुख होने से हमारे समस्त क्रिया-कलाप हमें पतन के गर्त में ही ले जा रहे हैं। स्वस्थ, संपुष्ट एवं समरस समाज की पुनर्स्थापना करने हेतु धर्म का ठोस आधार हमें अपनाना ही होगा। उसी से समाज का और हमारा स्वयं का भी कल्याण संभव होगा। युवाओं के महानायक स्वामी विवेकानन्द जी का यही संदेश है, यही निर्देश है।

पुरुषार्थ चतुष्टय की मूल भावना को समझकर ही हम अपनी उलटी जीवनचर्या को सही मार्ग पर ले जा सकते हैं।

*

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book