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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
1. वाक्य संरचना की दृष्टि से रचनांतरण
सरल वाक्य को संयुक्त एवं मिश्र बनाना, संयुक्त को सरल एवं मिश्र बनाना
तथा मिश्र को सरल बनाना इस प्रकार का रचनांतरण हैं।... वाक्य संश्लेषण
में बताया जा चुका है कि किस प्रकार समापिका क्रियाओं को असमापिका क्रियारूप
में बदला जा सकता है। उसी प्रक्रिया के द्वारा अथवा ठीक उसकी विपरीत
प्रक्रिया (असमापिका रूप से समापिका) द्वारा इस प्रकार का रचनांतर होता है।
उदाहरण के लिए:
सरल से | मोहन हिंदी पढ़ने के लिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। → मोहन को हिंदी पढ़ना है इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। (मिश्र) मोहन को हिंदी पढ़ना है और इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। |
मिश्र से | जब तक मोहन घर पहुँचा तब तक उसके पिता चल चुके थे।→ मोहन के घर पहुँचने के पूर्व उसके पिता चल चुके थे। (सरल) मैंने एक आदमी देखा जो बहुत बीमार था। → मैंने एक बहुत बीमार आदमी को देखा। (सरल) मैंने एक आदमी देखा और वह बहुत बीमार था। (संयुक्त) |
संयुक्त से | मोहन बहुत खिलाड़ी है लेकिन फेल कभी नहीं होता। → मोहन बहुत खिलाड़ी होने पर भी फेल कभी नहीं होता। (सरल) यद्यपि मोहन बहुत खिलाड़ी है तथापि फेल कभी नहीं होता। (मिश्र) |
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