लोगों की राय

श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

महर्षि वेदव्यास

निःशुल्क ई-पुस्तकें >> श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

(यह पुस्तक वेबसाइट पर पढ़ने के लिए उपलब्ध है।)

सञ्जय उवाच



एवमुक्त्वार्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत्।
विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः।।47।।

संजय बोले - रणभूमि में शोक से उद्विग्न मनवाले अर्जुन इस प्रकार कहकर, बाणसहित धनुष को त्यागकर रथ के पिछले भाग में बैठ गये।।47।।

मन से पूरी तरह निराश होने के बाद वह युद्ध त्याग कर रथ में पीछे बैठ जाता है। इस प्रकार पहले अध्याय की समाप्ति तक अर्जुन ने अपने सामने आने वाली समस्याओं के आगे हथियार डाल दिये हैं।

ॐ तत्सदिति श्रीमद्भवद्रीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादेऽर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः।।1।।

0 0 0 0 0

...Prev |

To give your reviews on this book, Please Login