लोगों की राय

श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

महर्षि वेदव्यास

निःशुल्क ई-पुस्तकें >> श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

(यह पुस्तक वेबसाइट पर पढ़ने के लिए उपलब्ध है।)

तत: शंखाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्।।13।।

इसके पश्चात् शंख और नगाड़े तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे। उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ।।13।।

भीष्म के शंखध्वनि करने पर युद्ध की औपचारिक घोषणा हो गई। तत्कालीन समय में युद्ध रत सेनाओं के साथ विभिन्न वाद्यों को बजाने वाले भी होते थे, इन वाद्यों के विकट उद्घोष का उद्देश्य अपनी-अपनी सेनाओं का उत्साह बढ़ाना होता था। आज भी इस प्रथा को अमेरिकी बेसबाल, विश्व फुटबाल और आजकल के भारतीय क्रिकेट स्पर्धाओँ में देखा और सुना जाता है। जहाँ खेल के बीच-बीच में दर्शक-गण विभिन्न प्रकार के ध्वनि करने वाले वाद्यों और हाथ वाले ध्वनि विस्तारकों का बढ़-चढ़ कर प्रयोग करते हैं।

...Prev | Next...

To give your reviews on this book, Please Login