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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


उसने कहा कि वालमार्ट तो वह जाने वाली ही थी अपने लिए कुछ दवाएं आदि लेने के लिए और आवश्यक वस्तुएँ भी देख लेगी। मैने उसे फिर याद दिलाया कि हमें सुबह चार बजे तक निकलना होगा, ताकि हम जब तक वाशिंगटन पहुँचें तो सुबह का ट्रैफिक तो निकल चुका हो, पर दिन भी अधिक न चढ़े अन्यथा वहाँ पर घूमने के लिए कम समय मिलेगा। मेरी एन ने कहा कि ठीक है वह तैयार रहेगी। मुझे पहले अपना सामान आदि कार में डालकर मेरी एन के अपार्टमेंट से उसे लेकर निकलना था। सुबह चार बजे निकलने का मतलब था कि लगभग 3 बजे उठना होगा। रात में इतनी जल्दी सोने की आदत न होने के कारण शायद नींद आना मुश्किल होगी, साथ ही यात्रा की उत्तेजना तो थी ही।  
सारे काम निपटा कर और अपने माँ-पिताजी को फोन पर यह बताने के बाद कि मैं घूमने निकल रहा हूँ, इसलिए अगले 2 सप्ताहों में फोन कम ही कर पाऊँगा, मैं बिस्तर पर तो पहुँच गया। परंतु, निश्चित ही  नींद आते-आते बारह से अधिक अवश्य बज गया होगा। जब से मेरी एन के साथ यात्रा करने की बात तय हुई थी, तभी से कई बार सोचा था कि फ्राँसीसी लड़कियों के बारे में नेट से कुछ पता करना चाहिए, लेकिन भाग-दौड़ में देख ही नहीं पाया। अब वही विचार पुनः लौट आया, तो इस बार मैंने चूक नहीं की और नेट पर खोजने लगा। इधर-उधर देखने से अधिक कुछ तो समझ में नहीं आया, पर एक जगह पढ़ा की गॉल लड़कियाँ बड़ी “स्ट्रॉग” अर्थात् मजबूत व्यक्तित्व वाली होती हैं। थोड़ी देर और देखने के बाद अनुभव होने लगा कि इस प्रकार की जानकारी नेट से मिलना संभव नहीं है।

पता नहीं कब नींद आई, परंतु तीन बजे अलार्म बजने पर एक बार तो लगा कि थोड़ी देर और नींद का मजा ले लूँ, परंतु याद आया कि यदि नींद लग गई तो पता नहीं कब खुले? अपनी समस्त चेतना को एकाग्र कर उठा और तैयार हुआ। 

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