गूगल प्ले स्टोर पर विविध पुस्तकें
गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध विविध लोकप्रिय हिन्दी पुस्तकें
हिन्दी साहित्य की साम्रगी पिछले कुछ वर्षों से ई पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है। पुस्तक.आर्ग सभी प्रकाशकों से अनुबन्ध करके उनकी साम्रगी ई पुस्तकों के रूप में पाठकों को उपलब्ध करने की दिशा में कार्यरत है। कुछ उपलब्ध पुस्तकों के वेब लिंक यहाँ दिये जा रहे हैं। गूगल के प्ले स्टोर पर उपलब्ध पुस्तकें आप अपने कम्पयूटर अथवा एंड्रायड फोन, फैबलेट आदि पर पढ़ सकते हैं।
अंतिम संदेश ख़लील जिब्रान पृष्ठ 41 मूल्य $ 4.99 अंतर्राष्ट्रीय खयाति के जिन चिन्तकों ने हमारे देश में असामान्य लोकप्रियता प्राप्त की है, उसमें खलील जिब्रान का नाम अग्रणी है। उनकी लेखनी अत्यंत शक्तिशाली थी। वह मात्र गद्य लेखक ही नहीं थे, उच्चकोटि के कवि और चित्रकार भी थे। जिब्रान ने काफी लिखा है। उनकी प्रत्येक पुस्तक, चाहे वह कहानियों का संग्रह हो या निबंधों का संकलन पाठकों को एक नये लोक में ले जाती है, जहां मानवीय संवेदनाओं का सागर हिलोरें लेता है। पाठक के विचारों में इतने उतार-चढ़ाव आते हैं कि वह एक विचित्र प्रकार के उन्मेष का अनुभव करता है। जिब्रान क्रांतिकारी लेखक थे। वह धन और सत्ता की महत्ता को स्वीकार नहीं करते थे। उनके लिए मानव सर्वोपरि था। उसी की गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए उन्होंने अपने सम्पूर्ण साहित्य की रचना की |
|
अकबर बीरबल (Hindi Sahitya) गोपाल शुक्ला पृष्ठ 71 मूल्य $ 4.99 बादशाह अकबर के दरबार के रत्न बीरबल अत्यधिक व्यवहार-कुशल ईमानदार और विवेकबुद्धि से संपन्न इंसान थे, अपनी बुद्धि के बल पर उन्होंने अकबर बादशाह के दरबार में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके ज्ञान और प्राप्त सम्मान के कारण अन्य दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे और अनेक बार उन्हें नीचा भी दिखाने का प्रयास भी करते थे, किंतु बीरबल अपनी हाज़िरजवाबी तथा प्रवीणता के कारण बार-बार उनके प्रहारों से बच निकलते थे। ऐसा कहा जाता है कि कई बार बीरबल की अनुपस्थिति से दरबार सूना-सूना लगता था और बादशाह अकबर भी उदास हो जाते थे। इन्हीं बीरबल की हाज़िरजवाबी का एक उदाहरण है प्रस्तुत पुस्तक, जिसमें बीरबल ने विभिन्न अवसरों पर अनेक समस्याओं को भी हल किया है |
|
आस बशीर बद्र पृष्ठ 124 मूल्य $ 2.99 मेरा दर्द न जाने कोय' से लेकर 'उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो' तक जो दिलों पर नक्श है उसे अल्लाह ने लिखाया है। सच्ची शाइरी पढ़ते हुए कुछ याद आने लगता हे और झूठी शाइरी पढ़कर कुछ याद नहीं आता। और बहुत याद आया तो कोई दूसरा शाइर या दूसरा शे’र। मुशायरे पानी की क़ब्रें हैं। एक मख़लूक़ मुशायरे में पैदा होती है और मुशायरे ही में मर जाती है। रिसाले मिट्टी की कब्रें हैं। एक मख़लूक रिसाले ही में पैदा होती है और रिसाले ही में दफ़न हो जाती है। |
|
एक अहसास राकेश कुमार पृष्ठ 147 मूल्य $ 2.99 वास्तव में शून्य से उकेर कर कुछ काल्पनिक प्रसंगों के ताने-बानों के इर्द-गिर्द एक धाराप्रवाह कड़ी के रूप में अपनी बात को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करना ही शायद कहानी की रचना करना है। इसे मैंने विविध कहानियों की रचना करते हुये महसूस किया। मैं नहीं जानता कि अपनी इन सभी कहानियों में पाठकों को बांधे रखने में, मैं कहां तक सफल हो सका या फिर अपनी बात कहने में कितना समर्थ हो सका। लेकिन मां सरस्वती की कृपा एवं माता-पिता सहित विद्वतजनों के आशीर्वाद से जितना संभव हो सकता था, कोशिश की। वैसे भी, कोई भी रचना किसी व्यक्ति विशेष की कृति नहीं होती, यह तो मां सरस्वती की महती कृपा होती है। एक रचनाकार तो केवल हेतु की तरह होता है। मैंने भी समाज के सम्मुख फैली विभिन्न विसंगतियों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने, एक हेतु बनने का प्रयास किया है। |
|
एक नदी दो पाट गुलशन नन्दा पृष्ठ 172 मूल्य $ 4.99 'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय। वह देखो सामने लहराते हुए खेत! इसमें कितने विभिन्न व्यक्ति काम करते हैं और इस धरती का भला ही होता है...वह देखो बल खाती हुई नदी। इसके दो किनारे हैं और नदी को प्रवाह देने के लिए दोनों का होना आवश्यक है।' 'एक नदी दो किनारे...जीवन-भर एक-दूसरे को देखते हैं, परन्तु कभी मिल नहीं पाते।' 'दोनों किनारे मिल भी सकते हैं।' 'कैसे?'! |
|
कटी पतंग गुलशन नन्दा पृष्ठ 220 मूल्य $ 4.99 'कटी पतंग' बड़ी ही विचित्र और नाजुक परिस्थितियों में घिरी एक सुन्दर युवती की कहानी है, जिसके बारे में स्वयं लेखक का कहना है कि इसे एक बार शुरू करके आप समाप्त किये बिना नहीं रह सकते ! |
|
कबीरदास की साखियां कबीरदास पृष्ठ 51 मूल्य $ 2.99 साखियां यों तो सभी संतों की निराली हैं। एक-एक शब्द उनका अन्तर पर चोट करता है। पर कबीर साहब की साखियों का तो और भी निराला रंग है। वे हमारे हृदय पर बड़ी गहरी छाप छोड़ जाती हैं। सीधे-सादे अनपढ़ आदमी पर तो और भी अधिक ये साखियां अपना अमिट प्रभाव शायद इसलिए डाल जाती हैं कि उन्हीं की तरह एक अनपढ़ संत ने सहज-सहज जीवन को पहचाना था और उसके साथ एकाकार हो गया था। दूसरों के मुख से सुनी उसने कोई बात नहीं कही, अपनी आंखों-देखी ही कही। जो कुछ भी कहा अनूठा कहा, किसी का जूठा नहीं |
|
कांच की चूड़ियाँ गुलशन नन्दा पृष्ठ 109 मूल्य $ 4.99 ''हां प्यार... जिसने मुझे प्यार करना सिखा दिया। मेरा प्यार तो पानी का एक बुलबुला था...एक रंगीन सपना था... जो यूं ही कांच की चूड़ियों में तुम्हें दिया था... मेरा प्यार तो उन्हीं चूड़ियों के समान निर्बल निकला...बस एक ही ठेस से फूट गया। गंगा! मुझे अब वह प्यार चाहिए जो तुम्हारी धमनियों में है, जो तुम्हारे हृदय की धडकनों में बसा है, तुम्हारी गर्म सांसों में है... वह प्यार, जो तुम्हारे नयनों की ज्योति से मेरे अंधकारमय हृदय को प्रकाशमान कर दे... गंगा! मुझे वही प्यार चाहिए.. वही प्यार...'' |
|
खजाने का रहस्य : Khajane Ka Rahasya कन्हैया लाल पृष्ठ 29 मूल्य $ 0.99 कन्हैयालाल जी ने सभी आयु के पाठकों हेतु प्रेरणादायक उपन्यासों एवं कहानियों को प्रस्तुत किया है। सभी कहानियां स्वस्थ मनोरंजन करने के साथ ही कुछ न कुछ शिक्षा भी देती हैं। |
|
घाट का पत्थर गुलशन नन्दा पृष्ठ 172 मूल्य $ 4.99 लिली-दुल्हन बनी एक सजे हुए कमरे में फूलों की सेज पर बैठी थी। सामने की खिड़की खुली थी। नीले आकाश पर तारे आंख-मिचौनी खेल रहे थे, परंतु उनके संकेतों को चंद्रमा की सुंदर चांदनी ने फीका कर दिया था। वह उठी और खिड़की के पास जा खड़ी हुई और बाहर की ओर देखने लगी। रात्रि के अंधकार में समुद्र के जल पर बिखरी चांदनी उसे बहुत ही भली लग रही थी। अचानक किसी के पांवों की आहट सुनाई दी। किसी ने धीरे-से कमरे में प्रवेश किया और दरवाजे में चिटकनी लगा दी। लिली संभली, शरमाई और मुंह दूसरी ओर फेरकर बाहर बिखरी हुई चांदनी को देखने लगी। आगन्तुक धीरे-धीरे पैर बढ़ाता लिली के समीप पहुंच गया। लिली ने लज्जा से सिर झुका लिया। |
|
जलती चट्टान प्रेमचन्द पृष्ठ 140 मूल्य $ 4.99 राजन, सीतलवादी में एक कंपनी में काम की तलाश में जाता है। वहां एक दिन रास्ते में वह एक लड़की से टकरा जाता है। जिसका नाम पार्वती है। वह दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं। लेकिन जब यह बात लड़की के बाबा को पता चलती है। तो वह यह आघात बर्दाश्त नहीं कर पाते और मरने से पहले पार्वती का विवाह कंपनी के मैनेजर हरीश से तय कर जाते हैं। एक दिन रस्सी का पुल पार करते हुए हरीश का पैर फिशलता है और वह मर जाता है। पार्वती, राजन को हरीश का जिम्मेदार ठहराती है क्योंकि घटना के समय राजन भी वही मौजदू होता है। क्या वास्तव में ही राजन हरीश की मौत का जिम्मेदार था ? क्या पार्वती के विधवा होने पर राजन ने फिर उससे विवाह किया ? क्या पार्वती ने अपने पति की मौत का बदला लिया ? दो तड़पते दिलों की कहानी जिसे लोकप्रिय उपन्यासकार गुलशन नंदा ने लिखा है। |
|
नीलकण्ठ गुलशन नन्दा पृष्ठ 212 मूल्य $ 4.99 हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार तथा लेखक थे जिनकी कहानियों को आधार रख 1960 तथा 1970 के दशकों में कई हिन्दी फ़िल्में बनाई गईं और ज़्यादातर यह फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस में सफल भी रहीं। उन्होंने अपने द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों की फ़िल्मों में पटकथा भी लिखी। उनके द्वारा लिखी गई कुछ हिट फ़िल्मों के नाम हैं- काजल, पत्थर के सनम, कटी पतंग, खिलौना, शर्मीली इत्यादि हैं। इसके आलावा उनके लिखे कुछ उपन्यासों के नाम चन्दन, वापसी इत्यादि हैं। |
|
पंचतंत्र विष्णु शर्मा पृष्ठ 38 मूल्य $ 1.99 भारतीय साहित्य की नीति और लोक कथाओं का विश्व में एक विशिष्ट स्थान है। इन लोकनीति कथाओं के स्रोत हैं, संस्कृत साहित्य की अमर कृतियां - पंचतंत्र एवं हितोपदेश। पंचतंत्र के रचयिता श्री विष्णु शर्मा ने अनेक पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर नीति की कथाएं कही हैं। वे कथाएं और उनके बीच में आयी हुई सूक्तियां आज के इस आपा-धापी के युग में निश्चय ही मानव के लिए उपयोगी हैं। बालकों के लिए ही नहीं वयस्क एवं प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए भी ये कहानियां समान रूप से उपयोगी एवं संग्रहणीय हैं। |
|
वापसी गुलशन नन्दा पृष्ठ 166 मूल्य $ 4.99 'अपनी पलकों से आंसू पोंछ डालो सलमा... और एक वादा करो मुझसे-कि जब हिंदोस्तान और पाकिस्तान के हालात अच्छे हो जाएगे... इन दोनों मुल्कों के दरमियान उठी नफ़रत की दीवारें ढह जाएंगी तो तुम वहां जाओगी... मेरी मां से मिलने... देखो कुल्लू की वादी में एक छोटा सा गांव है मनाली... वहीं तुम्हारी सास, देवर और देवरानी रहते हैं... वह सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं... और मेरी मां तो तुम्हें सीने से लगाने के लिए तड़प रही है... वह अपनी नई बहू को उन्हीं कपड़ों और ज़ेवरों से सजाना चाहती है जो शादी के दिन तुमने पहने थे... जब उसे मालूम होगा कि तुम्हारा सुहाग उजड़ गया है... उसका बेटा इस दुनियां में नहीं रहा तो उस पर ग़म का पहाड़ टूट पड़ेगा... शायद तुम्हें पाकर उसका ग़म कुछ हल्का हो जाए... इसलिए वादा करो कि उसके ज़ख्मों पर मरहम रखने के लिए तुम ज़रूर जाओगी...।'' |
|
राख और अंगारे गुलशन नन्दा पृष्ठ 172 मूल्य $ 4.99 मुंशी प्रेमचन्द एक व्यक्ति तो थे ही, एक समाज भी थे, एक देश भी थे। व्यक्ति समाज और देश तीनों उनके हृदय में थे। उन्होंने बड़ी गहराई के साथ तीनों की समस्याओं का अध्ययन किया था। प्रेमचन्द हर व्यक्ति की, पूरे समाज की और देश की समस्याओं को सुलझाना चाहते थे, पर हिंसा से नहीं, विद्रोह से नहीं, अशक्ति से नहीं और अनेकता से भी नहीं। |
|
पिया की गली कृष्ण गोपाल आबिद पृष्ठ 96 मूल्य $ 4.99 पिया की गली उपन्यास में भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का आबिद जी ने बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है। भारतीय नारी के जीवन के विभिन्न प्रकार के सुखों एवं दुखों का सजीव वर्णन का आनन्द लेने के लिये पढें 'पिया की गली'। |
|
फूल खिलते हैं दत्त भारती पृष्ठ 158 मूल्य $ 4.99 गरीबी से जूझते हुए एक युवा पति-पत्नी की झिंझोड़कर रख देने वाली कहानी - लोकप्रिय उपन्यासकार दत्त भारती का नवीनतम मार्मिक उपन्यास |
|
फ्लर्ट प्रतिमा खनका पृष्ठ 324 मूल्य $ 4.99 वास्तव में साहित्यकार के लिए लेखन की विषय-वस्तु आकाश से नहीं टपकती बल्कि लेखक जिस वातावरण मे रहता है, अपनी रोज-मर्रा की जिन्दगी में घटनाओं को देखता है, उसी में से साहित्यिक सामग्री समेट लेता है। बस ऐसी ही सामग्री हाथ लग गई – शब्द शिल्पी प्रतिमा जी को उपन्यास लेखन हेतु। विषय-वस्तु की दृष्टि से प्रतिमा खनका द्वारा विरचित उपन्यास ‘फ्लर्ट’ नितान्त व्यावहारिक तथा आज के परिवेश पर आधारित एक कृति है जिसमें आज के चकाचौंध पूर्ण जीवन का जीवन्त चित्रण हुआ है। |
|
रौशनी महकती है सत्य प्रकाश शर्मा पृष्ठ 104 मूल्य $ 4.99 अपने कहे हुये को लेकर मुझे ये मुग़ालता क़तई नहीं है कि मैंने कोई कारनामा कर डाला है। पिछले 25-30 वर्ष में परवान चढ़ी, ग़ज़लों से मुहब्बत की छुटपुट मगर ईमानदार कोशिशें भर हैं ये अश्आर। जि़न्दगी में तरतीब कभी रही नहीं, सो ख़याल आया कि कम-अज़-कम अहसास की बिखरी हुई शुआओं को रौशनदान दे दिया जाये ताकि सनद रहे और अपनों के काम आये। मैं कोई साधु-महात्मा तो हूँ नहीं कि अपने मन में बैठे लालची से आपकी बात न कराऊँ। ये लालची कहता है कि काश! जैसे मैंने अच्छी-अच्छी ग़ज़लें सुनी हैं, बेहतरीन शे’रों पर दीवाना होता रहा हूँ, उसी तरह इस संग्रह का एक भी शे’र, एक भी मिसरा पढ़ने वालों को पसन्द आ जाये तो ये भी फूला न समाये। इतना लालच तो बनता ही है...। |
|
चन्द्रशेखर आजाद जगन्नाथ प्रसाद मिश्र पृष्ठ 78 मूल्य $ 4.99 यदि स्वतन्त्रता रूपी अंतरिक्ष में महात्मा गाँधी सूर्य हैं, पंडित जवाहरलाल नेहरू चन्द्रमा हैं.और दूसरे बड़े-बड़े नेता नवग्रह हैं तो चन्द्रशेखर आजाद भी अपने सप्तर्षि मंडल के साथ ध्रुव तारे के समान अपने स्थान पर अटल हैं |
|
छूना बस मन अवधेश सिंह पृष्ठ 95 मूल्य $ 4.99 कविताओं का यह संकलन पाठक के प्रेम अतीत को दोहराने में उसकी मदद कर उसे कुछ पल का सुकून देगा। प्रेम उम्र के बढऩे के साथ एक अनुछुई अनुभूति नहीं है, इसका गाढ़ापन इसकी सांद्रता उम्र के साथ बढ़ जाती है, सफल पारिवारिक जीवन एवं आधुनिक छोटे परिवार की यह कसौटी है। यह वर्तमान का संबल है, इमारत का मजबूत खम्बा है। यह असमय बिखराव को भी रोकेगा। यहाँ मांसलता को सीढ़ी बनाकर चढ़ा प्रेम परिपक्वता के आकाश में उन्मुक्त पंछियों की तरह विचरण करता हुआ दिखेगा। |
|
भारत बनाम इण्डिया श्रवण कुमार गोस्वामी पृष्ठ 186 मूल्य $ 4.99 यों तो मेरा नाम जैक फिलिप है और मैं ईसाई धर्म का मानने वाला हूँ और मेरा जन्म इंगलैंड की भूमि पर हुआ है, पर मैं अपने को भारतीय भी मानता हूँ; क्योंकि मेरे पिताजी भारत के मूल निवासी थे। वह किसी प्रकार इंगलैंड में आकर बस जाने में सफल हो गये थे। उन्होंने यहीं अपना विवाह भी किया। विवाह के पूर्व मेरे पिताजी ने अपना हिंदू धर्म छोड़ दिया; क्योंकि ऐसा करना उनके लिये आवश्यक हो गया था। बचपन में मैं अपने पिताजी से भारत के संबंध में बहुत कुछ सुन चुका था। मेरे मन में भारत को देखने की लालसा बचपन से ही मौजूद थी। परंतु ऐसा कोई मौका नहीं मिला कि मैं भारत को समीप से देख पाता |
|
चमत्कारिक दिव्य संदेश उमेश पाण्डे पृष्ठ 103 मूल्य $ 3.99 'दिव्य संदेश' में हमारे प्राचीन ग्रंथों से कुछ तथ्य आपके समक्ष रखे जाते हैं, कुछ आध्यात्मिक संदेश आपके मन को सुख और शांति प्रदान करने हेतु संकलित रहते हैं-इस आशा और विश्वास के साथ कि इनसे आप अवश्य ही लाभान्वित होंगे। |
|
चमत्कारिक पौधे उमेश पाण्डे पृष्ठ 139 मूल्य $ 4.99 प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक में वर्णित जानकारियाँ आपके लिए अवश्य ही लाभकारी सिद्ध होंगी |
|
लोभ, दान व दया रामकिंकर पृष्ठ 37 मूल्य $ 2.99 प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अपने आपमें ही संघर्षरत है एक ओर यह दशेन्द्रियों में भोगासक्त होकर निरंतर विषयों का सुखानुभव कर रहा है। यही भोगासक्ति मूल रूप से परोत्पीड़न वृत्ति की जन्मदात्री है। दूसरी ओर जीव सच्चिदानंद ईश्वर का अंश होने के कारण स्वयं आनन्दमय है। अतएव अपने आत्मस्वरूप को पहचानकर वह स्वयं में रमण करने वाला आत्माराम बन जाता है। देहवाद एवं भोगासक्ति द्वारा जिस छलनावृत्ति का जन्म होता है उसी के द्वारा वह दूसरों के स्थान पर स्वयं को ही छल रहा है। इसे वह नहीं जान पाता। |
|
वेताल पच्चीसी वेताल भट्ट पृष्ठ 56 मूल्य $ 4.99 ये पच्चीस कथायें राजा विक्रमादित्य की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। राजा को वेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अन्त में ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता। |
|
सिंहासन बत्तीसी वर रुचि पृष्ठ 61 मूल्य $ 4.99 महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उन्हें भारतीय इतिहास में प्रजावत्सल, जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी शासक होने का गौरव प्राप्त है। प्राचीनकाल से ही उनके गुणों पर प्रकाश डालने वाली कथाओं की बहुत ही समृद्ध परम्परा रही है। सिंहासन बत्तीसी भी 32 लोक कथाओं का संग्रह है जिसमें सिंहासन में लगी हुई 32 पुतलियाँ विक्रमादित्य के विभिन्न गुणों का कथा के रूप में वर्णन करती हैं। |
|
समाधान खोजें और सफल हो जायें सत्य नारायण पृष्ठ 205 मूल्य $ 4.99 हमारे जीवन का लक्ष्य जैसा भी हो उसे पाने के लिए पहला कदम हमें ही उठाना पड़ता है। एक हजार मील की दूरी तय करने के लिए शुरुआत पहले कदम से ही होती है। इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में लिखे अनमोल सफलतम नियमों का पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए जरूरी है कि आप बहुत ही धैर्य एवं विश्वास के साथ समझते हुए पढ़ें। अभी तक जिसका लक्ष्य निर्धारित नहीं हुआ होगा तो उसका लक्ष्य तय हो जायेगा और जिसका लक्ष्य निर्धारित होगा तो उसको उसका लक्ष्य पाने का सरल उपाय मिल जायेगा। समस्या किसी भी क्षेत्र से हो उसका समाधान इस पुस्तक को पढ़ते-पढ़ते मिल ही जायेगा। |
|
मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे विवेक सिंह पृष्ठ 31 मूल्य $ 1.99 मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ थे, बल्कि वह अच्छे हकीम भी थे और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनते थे, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय हुये। ऐसे समझदार आदमी ने अपनी सवारी को चुना था, एक गधा। वह अपने गधे को प्यार भी खूब करता था और गधा भी इतना समझदार था कि मुल्ला के हर इशारे को भाँप लेता था। सभी लोग उस गधे की प्रशंसा के पुल बाँधते रहते थे। |
|
मुल्ला नसीरुद्दीन के किस्से गोपाल शुक्ला पृष्ठ 37 मूल्य $ 0.99 मुल्ला नसीरुद्दीन का नाम जुबां पर आते ही हमारे दिल-दिमाग में एक मुस्कराता सा चेहरा उभर आता है। ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि वह गुजरे जमाने का कोई मसखरा नहीं बल्कि एक फक्कड़ शख्स था, जो बुखारा की उस समय की अन्यायपूर्ण व्यवस्था का सबसे प्रबल विरोधी था। वह सिरदर्द था अमीरों का क्योंकि वह अन्याय के खिलाफ लोगों में जागृति पैदा कर रहा था। वह दुश्मन था सूदखोरों का, जो जोंक की भांति गरीब रिआया का खून चूस रहे थे। वह निःस्वार्थ परोपकारी था। अमीरों, सूदखोरों और भ्रष्ट राजदरबारियों को कंगाल करके वह उस दौलत को गरीबों में बांट दिया करता था। |
|
मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले विवेक सिंह पृष्ठ 29 मूल्य $ 0.99 मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल विनोदी व्यक्ति थे, बल्कि वह अच्छे हकीम भी थे और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनते थे, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय हुये। ऐसे समझदार आदमी ने अपनी सवारी को चुना था, एक गधा। वह अपने गधे को प्यार भी खूब करता था और गधा भी इतना समझदार था कि मुल्ला के हर इशारे को भाँप लेता था। सभी लोग उस गधे की प्रशंसा के पुल बाँधते रहते थे। |
|
मीडिया हूँ मै जय प्रकाश त्रिपाठी पृष्ठ 1407 मूल्य $ 7.99 यह पुस्तक नहीं, अभियान है। पत्रकारिता के एक-एक छात्र, नयी पीढ़ी के एक-एक पत्रकार तक पहुंचना इस पुस्तक का पहला और अंतिम लक्ष्य है, ताकि पत्रकारिता की आत्मा को रौंद रहे बाजार का कुरूप चेहरा हमेशा के लिए हमारे बीच से ओझल हो जाये। यह पुस्तक उनके लिए, उन साथियों के नाम, जो पत्रकारिता के मूल्यों पर निछावर हो गये, जिन साथियों के परिजन अनायास अपने पत्रकार संरक्षकों के न होने की कीमत चुकाने के लिए विवश हैं, और जो साथी आज पत्रकारिता के मूल्यों को बचाने की जद्दोजहद में शामिल हैं.... |
|