शब्द का अर्थ
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अंकुश :
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पुं० [सं० √अंक्+उशच्] (भू० कृ० अकुशित) १. भाले की तरह का वह दो मुहाँ अँकुड़ा या काँटा जिससे हाथी चलाया और वश में किया जाता है, गज-बाग। २. वह अधिकार, तत्त्व या शक्ति जिससे किसी को अधिकारपूर्वक किसी कार्य के लिए अग्रसर किया जा सके अथवा रोका जा सके। ३. नियंत्रण या वश में रखने की क्रिया या भाव। ४. दबाव, नियंत्रण या रोक। क्रि० प्र० —मानना। रखना।—लगाना। |
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समानार्थी शब्द-
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अंकुश-ग्रह :
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पुं० [ष० त०] महावत, हाथीवान। |
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अंकुश-दंता :
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पुं० [सं० अंकुश+हि० दाँत] वह हाथी जिसका एक दाँत सीधा और दूसरा झुका हुआ या टेढ़ा होता है। |
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अंकुश-धारी :
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(रिन्)- पुं० [सं० अंकुश√धृ (धारण करना) + णिनि] १. वह जिसके हाथ में अंकुश हो। २. महावत, हाथीवान। |
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अंकुश-मुद्रा :
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स्त्री० [मध्य० सं० ] तंत्र में उँगलियों की अंकुश जैसी बनी हुई आकृति या मुद्रा। |
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अंकुशा :
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स्त्री० [सं० अंकुश√अच्-टाप्] चौबीस जैन देवियों में से एक। |
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अंकुशित :
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भू० कृ० [सं० अंकुश+इतच्] अकुश द्वारा चलाया या बढ़ाया हुआ। |
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अंकुशी :
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(शिन्) वि० [सं० अंकुश+इनि] १. अंकुश युक्त। अंकुशवाला। २. अंकुश की सहायता से वश में करने वाला। स्त्री०-अंकुशा। |
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अंकुश :
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(ा) पुं०=अंकुशा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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