शब्द का अर्थ
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कटु :
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वि० [सं०√कट्+उ] १. जिसके स्वाद में कडुवापन या तीक्ष्णता हो। चिरायते, नीम आदि की तरह के स्वादवाला। चरपरा। लगनेवाला। अप्रिय। जैसे—कटु वचन, कटु व्यवहार। ४. कष्टदायक। जैसे—कटु सत्य। ५. काव्य में, रस के विरुद्ध वर्णों की योजना। जैसे—श्रृंगार रस में ट, ठ, ड आदि वर्ण। पुं० वैद्यक में छः प्रकार के रसों में से एक जो चिरायते, नीम आदि की तरह के स्वाद का होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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कटुआँ :
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पुं० [हिं० काटना] १. धान की फसल में लगनेवाला काले रंग का छोटा कीड़ा। २. महाजनी लेन-देन में, ब्याज जोड़ने का वह ढंग या प्रकार जिसमें हर रकम का अलग-अलग और पूरे दिनों का हिसाब लगाया जाता है। मितीकाटा। |
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कटुआ :
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वि० [हिं० काटना] १. काटकर टुकड़े-टुकड़े किया हुआ। विभक्त किया हुआ। २. जो काटकर बना हो। ३. जिसका कुछ अंश काटकर निकाल लिया गया हो। जैसे—कटुआ दही (जिसके ऊपर की मलाई काटकर निकाल ली गई हो)। ४. काटनेवाला। |
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कटुका :
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वि० =कटु। |
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कटु-छंदक :
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पुं० [सं० ब० स०] उत्कट या तीक्ष्ण गंध या स्वादवाला कंद। जैसे—अदरक, मूली, लहसुन आदि। |
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कटुता :
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स्त्री० [सं० कटु+तल्-टाप्] १. कटु होने की अवस्था या भाव। कटुत्व। कड़आपन। २. विरोध, वैमनस्य, वैर आदि के कारण दो पक्षों में एक दूसरे के प्रति होनेवाली दुर्भावना। जैसे—उन लोगों के व्यवहार से कटुता आ गई है। |
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कटुत्व :
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पुं० [सं० कटु+त्व] =कटुता। |
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कटु-पर्णी :
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स्त्री० [ब० स०ङीष्] भड़भाँड़। सत्यानाशी। |
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कटु-फल :
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पुं० [ब० स०] कायफल। |
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कटुभाषी (षिन्) :
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वि० [सं० कटु√भाष् (बोलना)+णिनि] अप्रिय कष्टदायक बातें कहने वाला। |
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कटुर :
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पुं० [सं०√कट्+उरन्] छाछ। मट्ठा। |
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कटु-रव :
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पुं० [ब० स०] मेंढक। |
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कटुष्ण :
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विं० [सं० कु-उष्ण, कुगचि सं०० आदेश] कम या थोड़ा गरम। कुनकुना। (विशेषतः तरल पदार्थ) |
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