शब्द का अर्थ
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पंतच-द्रविड़ :
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पुं० [द्विगु स०] विंध्याचल के दक्षिण में बसनेवाले ब्राह्मणों के ये पाँच भेद—महाराष्ट्र, तैलंग, कर्णाट, गुर्जर और द्रविड़। |
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पंत :
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पुं०=पंथ। पुं० [?] पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रहनेवाले पहाड़ी ब्राह्मणों की एक जाति। |
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पंति :
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स्त्री०=पंक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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पंती :
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स्त्री०=पंक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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पँतीजना :
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स०=पींजना। (रूई आदि ओटना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पँतीजी :
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स्त्री० [हिं० पँतीजना] रूई पींजने का उपकरण। धुनकी। |
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पँत्यारी :
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स्त्री०=पंक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [सं० पंक्ति] पंक्ति। कतार। उदा०—धूप-दीप फल-फूल द्रव्य की लगी पँत्यारी।—रत्ना०। |
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