शब्द का अर्थ
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पाँत :
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स्त्री०=पंक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँतरना :
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अ० [सं० पीत्रल] १. गलती या भूल करना। २. मूर्खता करना। उदा०—प्रमणै पित मात पूत मत पांतरि।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँतरिया :
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वि० [सं० पत्रल] जिसकी बुद्धि ठिकाने न हो। उदा०—पांतरिया माता इ पिता।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांति :
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स्त्री० [सं० पांक्ति] १. अवली। कतार। पंगत। २. बिरादरी के वे लोग जो साथ बैठकर भोजन कर सकते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँत :
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स्त्री०=पंक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँतरना :
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अ० [सं० पीत्रल] १. गलती या भूल करना। २. मूर्खता करना। उदा०—प्रमणै पित मात पूत मत पांतरि।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँतरिया :
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वि० [सं० पत्रल] जिसकी बुद्धि ठिकाने न हो। उदा०—पांतरिया माता इ पिता।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांति :
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स्त्री० [सं० पांक्ति] १. अवली। कतार। पंगत। २. बिरादरी के वे लोग जो साथ बैठकर भोजन कर सकते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |