शब्द का अर्थ
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बीज :
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पुं० [सं० बीज] १. अन्न का वह कण जो खेत में बोने के काम आता है। कि० प्र०—उगना।—डालना।—बोना। २. लाक्षणिक अर्थ में, ऐसी आरंभिक बात जो आगे चलकर बहुत बड़ा रूप धारण करती हो। ३. किसी काम, चीज या बात का मुख्य अथवा मूल कारण। ४. जड़ी। ५. कारण। सबब। हेतु। ६. वीर्य। शुक्र। ७. नाटय-शास्त्र में अर्थ प्रकृति की पाँच स्थितियों में से पहली स्थिति जो उसे हेतु का संकेत करती है और जो आगे चलकर फल का कारण होता है। ८. वह भावपूर्ण अव्यक्त सांकेतिक वर्ग-समुदाय या शब्द जिसका अर्थ या आशय सब लोग न समझ सकते हों, केवल जानकर समझ सकते हों। ९. वह अव्यक्त ध्वनि या शब्द जिसमें तंत्रानुसार किसी देवता को प्रसन्न करने की शक्ति मानी गई हो। पद—बीज-मंत्र=बीजाक्षर। (देखे) १॰. मंत्र का प्रधान अंश या भाग। ११. वह अक्षर या चिन्ह जो कोई अज्ञात अथवा अव्यक्त राशि या संख्या सूचित करने के लिए पयुक्त होता है। पद—बीचगणित। (देखें) स्त्री०=बिजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बीजक :
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पुं० [सं० वीजक] १. सूची। फिहरिस्त। २. वह सूची जिसमें किसी को भेजे जानेवाले माल का ब्यौरा, दर, मूल्य आदि लिखा रहता है। (इन्वॉयस) ३. वह सूची जो मध्य युग में जमीन में गाड़ी जानेवाली धन-संपत्ति के साथ प्रायः घातु के पत्तर पर उत्कीर्ण कर रखी जाती थी और जिस पर गाड़ने वाले का नाम, समय और धन संपत्ति का विवरण अंकित रहता था। ४. किसी संत या महात्मा के प्रामाणिक पदों या आणियों का संग्रह। जैसे—कबीर का बीजक, दरियादास का १ बीजक आदि। ५. वैद्यक में, जन्म के समय बच्चे की वह अवस्था जब उसका सिर दोनों भुजाओं के बीच में होकर योनि द्वार पर आ जाता है। ६. अनाज़ों, फलों आदि का दाना। बीज। ७. बिजौरा नींबू। ८. असना नामक वृक्ष। |
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बीज-कोश :
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पुं० [सं० बीचकोश] वनस्पति का वह अंश जिसके अन्दर उसके बीज या दाने बंद रहते हैं। |
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बीजक्रिया :
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स्त्री [सं० बीजक्रिया] बीजगणित के नियमानुसार गणित के किसी प्रश्न का उत्तर जानने के लिए जानेवाली किया। |
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बीजखाद :
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पुं० [हिं० बीज+खाद] वह रकम जो मध्य युग में जमींदारों, महाजनों आदि की ओर से किसानों को बीज और खाद आदि खरीदने के लिए दी जाती थी। |
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बीजगणित :
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पुं० [सं० बीजगणित] गणित का वह प्रकार जिसमें अक्षरों को अज्ञात संख्याओं के स्थान पर मानकर वास्तविक मान या संख्याएँ जानी जाती हैं। (अलजबरा)। |
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बीजगर्भ :
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पुं० [सं० बीज गर्भ] परवली। |
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बीजगुप्ति :
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स्त्री० [सं० बीजगुप्ति] १. सेम। २. फली। ३. भूसी। बीजत्य |
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बीजदर्शक :
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पुं० [सं० वीजदर्शक] नाटकों में वह व्यक्ति जो नाटकों के अभिनय की अवस्था की व्यवस्था करता हो परिदर्शक। |
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बीजद्रव्य :
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पुं० [सं० वीजद्रव्य] किसी पदार्थ का मूल तत्त्व या द्रव्य। |
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बीजधान्य :
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पुं० [सं० वीजधान्य] धनियाँ। |
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बीजन :
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पुं० [सं० व्यजन] पंखा। पुं० [हिं० बीजना] १. बीजने या बोने की किया, ढंग या भाव। २. बीज। |
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बीजना :
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सं० [हिं० बीज] १. किसी अनाज, पेड़ या पौधे का बीज बोना। २. किसी काम या बात का बीजारोपण करना। पुं० [सं० व्यंजन] पंखा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजपादप :
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पुं० [सं० वीजपादप] भिलावाँ। |
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बीजपुष्प :
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पुं० [सं० बीजपुष्प] १. मरुआ। २. मदन वृक्ष। |
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बीजपूर :
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पुं० [सं० १ वीजपूर] १. बिजौरा नींबू। २. चकोतरा। |
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बीजपूरक :
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पुं०=बीजपूर। |
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बीजबंद :
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पुं० हि० बीज+बाँधना] खिरैंटी या बरियारे का बीज। बला। |
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बीजमंत्र :
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पुं० [सं० वीजमंत्र] १. तंत्रशास्त्र में, किसी देवता के उद्देश्य से निश्चित किया हुआ मूल-मंत्र। २. कोई काम करने का वह ढंग जो सबसे सुगम हो और जिससे वह काम निश्चित रूप से पूरा होता हो। मूल-मंत्र गुर। |
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बीजमातृका :
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स्त्री० [सं० वीजमातृका] कमलगट्ठा। |
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बीजमार्ग :
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पुं० [सं० ष० त०] वाममार्ग का एक भेद। |
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बीजमार्गी :
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पुं० [सं० वीजमार्गी] बीजमार्ग पंथ के अनुयायी। |
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बीजरत्न :
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पुं० [सं० वीजरत्न] उड़द की दाल। |
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बीजरी :
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पुं०=बिजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजरेचन :
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पुं० [सं० वीजरेचन] जमालगोटा। |
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बीजल :
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पुं० [सं० वीजल] वह जिसमें बीज हो। वि० बीज-युक्त। स्त्री० [हिं० बिजली] तलवार। (डिं०) |
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बीजवाहन :
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पुं० [सं० वीजवाहन] शिव। |
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बीजवृक्ष :
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पुं० [सं० वीजवृक्ष] असना का पेड़। |
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बीजसि :
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स्त्री० [सं० द्वितीय] चांद्र मास की दूसरी तिथि। द्वितीया। दूज। उदा०—पड़वा आनंदा बीजसि चंदा पाँचों लेबा पाली—गोरखनाथ। |
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बीजसू :
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स्त्री० [सं० वीजयू] पृथ्वी। |
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बीजहरा :
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स्त्री० [सं० वीजहरा] १. एक डाकिनी का नाम। २. जादूगरनी। |
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बीजांक प्रक्रिया :
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स्त्री० [सं० वीजांक प्रक्रिया] गुप्त रूप से पत्र आदिलिखने या समाचार भेजने की वह प्रकिया जिसमें अभिप्रेत अक्षरों के स्थान पर सांकेतिक रूप से कुछ दूसरे ही अक्षर, जिन्ह आदि अंकित किये अथवा कुछ विशिष्ट और असाधारण कम से रखे जाते हैं। (साइफ़र प्रोसिज्योर) |
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बीजांकुर :
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पुंय [सं० वीजांकुर] बीज से निकलनेवाला अंकुर। |
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बीजांकुर न्याय :
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पुं० [सं० वीजांकुर न्याय] तर्कशास्त्र में वह स्थिति जिसमें यह पता न चले कि दो तत्त्वों में से कौन किसका कारण या मूल है। जैसे—पहले बीज हुआ या वृक्ष अथवा पहले अंडा बना या चिड़िया। |
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बीजांड :
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पुं० [सं० वीज+अंड] १. जीव-विज्ञान में भ्रूण का वह आरम्भिक और मूल रूप जिसके विकसित होने पर भ्रूण का रूप बनता है। २. वनस्पति विज्ञान में, बीज का आरम्भिक और मूल रूप। (ओव्यूल) |
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बीजा :
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वि० सं० द्वितीया, पा० द्वितियों, प्रा० दुओ पु० हि० दूज्जा] दूसरा। पुं०=बीज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजाक्षर :
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पुं० [सं० वीजाक्षर] किसी बीज मंत्र का पहला अक्षर। |
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बीजाख्य :
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पुं० [सं० वीजाख्य] जमालगोटा। |
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बीजारोपण :
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वि० [सं० वीज-आरोपण] १. खेत में बीज बोना। २. छोटे रूप में कोई ऐसा काम करना जिसका आगे चलकर बहुत बड़ा परिणाम हो। |
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बीजाश्व :
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पुं० [सं० वीज-अश्व] कोतल घोड़ा। |
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बीजित :
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भू० कृ० [सं० वीजित] जिसमें बीज बोया जा चुका हो। बोया हुआ। |
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बीजी :
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वि० [सं० वीजिन्] १. बीज या बीजों से युक्त। जिसमें बीज हो या हों। २. बीज-संबंधी। पुं० पिता। बाप। स्त्री० [हिं० बीज] १. फल के अंदर की गिरी। मींगी। २. फल की गुठली। स्त्री०=बिजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजुपाता :
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पुं०=वज्त्रपात।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजुरी :
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स्त्री०=बिजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बीजू :
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वि० [हिं० बीज+ऊ (प्रत्य०)] १. (पौधा) जो बीज बोने से उगा हो। कलमी से भिन्न। २. (फल) जो उक्त प्रकार के पौधे या वृक्ष का हो। जैसे—बीजू आम, बीजू नींबू। पुं० १.=बिज्जु। २.=बिज्जू। |
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बीजोदक :
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पुं० [सं० वीज-उदय] ओला। |
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बीज्य :
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वि० [सं० वीज्य] १. अच्छे बीज से उत्पन्न। २. अच्छे कुल में उत्पन्न। कुलीन। |
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बीज :
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पुं० [?] घोड़ों का एक भेद। स्त्री० [?] पासंग नामक बकरे की मादा। |
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