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रघु  : पुं० [सं०√लंघ् (गति)+कु, नलोप, रत्व] १. सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र जो रामचन्द्र के परदादा और प्रसिद्ध रघुवंश के मूल पुरुष तथा संस्थापक थे। २. रघु के वंश में उत्पन्न कोई व्यक्ति।
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रघु-कुल  : पुं० [ष० त०] राजा रघु का वंश।
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रघुनंद  : पुं० [सं० रघु√नन्द (हर्ष)+णिच्+अच्] श्रीरामचन्द्र।
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रघुनंदन  : पुं० [सं० रघु√नन्द+णिच्+ल्यु-अन] श्रीरामचन्द्र।
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रघु-नाथ  : पुं० [ष० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघु-नायक  : पुं० [ष० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघु-पति  : पुं० [ष० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघुराइ  : पुं० =रघुराज (श्रीरामचन्द्र)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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रघुराज  : पुं० [ष० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघुराय  : =रघुराय।
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रघुरैया  : पुं० =रघुराय। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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रघु-वंश  : पुं० [ष० त०] १. महाराज रघु का वंश या खानदान जिसमें दशरथ या रामचन्द्र जी उत्पन्न हुए थे। २. महाकवि कालिदास का रचा हुआ एक प्रसिद्ध महाकाव्य जिसमें राजा दिलीप की कथा और उनके वंशजों का वर्णन है।
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रघुवंश-कुमार  : पुं० [ष० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघुवंशी (शिन्)  : पुं० [सं० रघुवंश+इनि] १. वह जो रघु के वंश में उत्पन्न हुआ हो। २. क्षत्रियों की एक जाति या शाखा।
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रघु-वर  : पुं० [स० त०] श्रीरामचन्द्र।
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रघु-वीर  : पुं० [स० त०] श्रीरामचन्द्र।
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