शब्द का अर्थ
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रद :
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पुं० [सं०√रद् (विलेखन)+अच्] दंत। दाँत। वि०=रद्द। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रद-क्षत :
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पुं० [तृ० त० या ष० त०] रति आदि के समय दाँतों में गड़ने या लगने का चिन्ह। |
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रदच्छद :
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पुं० [सं० रद्√छद् (आच्छादन)+णिच्+घ, ह्रस्व] होंठ। ओष्ठ। |
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रद-छत :
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पुं० =रद-क्षत। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रद-दान :
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पुं० [सं० ष० त०] (रति के समय) दाँतो से ऐसा दबाना कि चिन्ह पड़ जाय। रद-क्षत करना। |
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रदन :
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पुं० [सं०√रद्+ल्युट-अन] दशन। दाँत। दंत। |
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रदनच्छद :
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पुं० [सं० रदन√छद्+णिच्+घ, ह्रस्व०] ओष्ठ। अधर। होंठ। |
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रदनी (नि्न्) :
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वि० [सं० रदन+इनि] दाँतवाला। पुं० हाथी। |
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रद-पट :
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पुं० [सं० ष० त०] अधर। होंठ। |
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रद-बदल :
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स्त्री० [अ० रद्दोबदल] परिवर्तन। |
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रदबास :
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पुं० [सं० रद+वास=आवरण] होंठ। उदाहरण—अन्तरपट रदबास सरीरु।—नूर मोहम्मद। |
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रदी (दिन्) :
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पुं० [सं० =रद+इनि] हाथी। गज। |
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रदीफ :
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स्त्री० [अ० रदीफ़] १. वह व्यक्ति जो घोड़े पर मुख्य सवार के पीछे बैठता है। २. वह शब्द जो गजलों आदि में प्रत्येक काफिए या अन्त्यानुप्रास के बाद आनेवाला शब्द या शब्द-समूह। जैसे—चला है ओ दिले राहत-तलब क्या शदियाँ होकर। जमीने कूए जानों रंज देनी आस्माँ होकर। में ‘शादयाँ’ और ‘आस्माँ’ काफिया है, तथा ‘होकर’ रदीफ है। ३. पीछे की ओर रहनेवाली सेना। पृष्ठ-भाग के सैनिक। |
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रदीफवार :
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अव्य० [अ+फा० ] १. रदीफ के अनुसार २. वर्णमाला के क्रम से। अक्षर-क्रम से। |
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रद्द :
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वि० [अ०] १. बदला हुआ। परिवर्तित। २. (लिखित सामग्री) जो नापसंद अथवा दूषित होने पर काट या छांट दी गई हो। जो अनुपयुक्त समझकर निरर्थक या व्यर्थ कर दिया गया हो। स्त्री० [देश] कै। वमन। |
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रद्दा :
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पुं० [फा० रदः] १. दीवार में जुड़ाई की एक पंक्ति। २. मिट्टी की दीवार उठाने में उतना अंश, जितना चारों ओर एक बार में उठाया जाता है। क्रि० प्र०—उठाना।—रखना। ३. थाली में एक प्रकार की मिठाइयों का चुनाव जो स्तरों के रूप में नीचे-ऊपर होता है। क्रि० प्र०—रखना।—लगाना। ४. नीचे ऊपर रखी हुई वस्तुओं का थाक या ढेर। क्रि० प्र०—चुनना। ५. कुश्ती में अपने प्रतिपक्षी को नीचे लाकर उसकी गरदन पर कुहनी और कलाई के नीचे की हड्डी से रगड़ते हुए आघात करना। क्रि० प्र०—देना।—लगाना। ६. चमड़े की वह मोहरी जो भालुओं के मुँह पर बाँधी जाती है। |
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रद्दी :
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वि० [फा० रद] १. जो व्यर्थ हो तथा किसी उपयोग में न लाया जा सकता हो। जैसे—रद्दी कागज। २. जिसमें कुछ भी बढ़ियापन या अच्छाई न हो। बहुत ही निम्न कोटि या प्रकार का। जैसे—रद्दी कपड़ा। स्त्री लिखे अथवा छपे हुए ऐसे कागज जिनका उपयोग अब न होने को हो। पुराने और व्यर्थ के कागज। |
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रद्दीखाना :
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पुं० [हिं० रद्दी+फा० खाना] वह स्थान जहाँ खराब और निकम्मी चीजें रखी या फेंकी जाएँ। |
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