शब्द का अर्थ
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रिस :
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स्त्री० [सं० रुष] १. किसी के प्रति मन में होनेवाला रोष। २. मन में दबी हुई नाराजगी। मुहावरा—रिस मारना=गुस्सा काबू में करना। |
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समानार्थी शब्द-
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रिसना :
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अ०=रसना। (तरल पदार्थ अन्दर से बाहर निकलना)। |
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रिसवाना :
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स० [हिं० रिसाना का प्रे०] रिसाने (किसी को अप्रसन्न होने) में प्रवृत्त करना। |
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रिसहा :
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वि० [हिं० रिस+हा (प्रत्यय)] जो बात-बात पर क्रुद्ध हो उठता हो। |
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रिसहाया :
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वि० [हिं० रिसाया] [स्त्री० रिसहाई] कुपित। जिसके मन में रिस उत्पन्न हुई हो। रुष्ट। अप्रसन्न। नाराज। |
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रिसान :
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पुं० [?] ताने के सूतों को फैलाकर उनको साफ करने का काम। (जुलाहे)। |
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रिसाना :
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अ० [हिं० रिस+आना (प्रत्यय)] क्रुद्ध होना। खफा होना। गुस्सा होना। स० किसी पर क्रोध करना। नाराजी जाहिर करना। |
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रिसाल :
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पुं० [अं० इरसाल] वह धन जो कर के रूप में वसूल करके सरकारी खजाने या राजधानी में भेजा जाता था। |
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रिसालत :
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स्त्री० [अं०] १. रसूल अर्थात् दूत का काम, पद या भाव। २. इस्लाम में मुहम्मद साहब को ईश्वर का दूत मानने की अवस्था या सिद्धान्त। |
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रिसालदार :
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पुं० [फा० रिसालःदार] १. घुड़सवार। सैनिकों का नायक। २. वह कर्मचारी जो कर वसूल करके खजाने में पहुँचाता था। |
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रिसाला :
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पुं० [फा० रिसालः] १. घोड़-सवारों की सेना। अश्वारोही सेना। २. सामरिक पत्र। पत्रिका। ३. पुस्तिका। |
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रिसि :
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स्त्री०=रिस। |
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रिसियाना :
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अ०=रिसाना। |
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रिसिक :
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स्त्री० [सं० रिषीक] तलवार। |
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रिसौहाँ :
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वि० [हिं० रिस+औहाँ (प्रत्यय)] [स्त्री० रिसौहीं] १. क्रोध से युक्त या भरा हुआ। जैसे—रिसौहीं आँखे। २. रिस या क्रोध का सूचक। |
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