शब्द का अर्थ
|
सर्वात :
|
पुं० [सं०] सब का अन्त। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सर्वात्य :
|
पुं० [सं०] साहित्य में ऐसा पद्य जिसके चारों चरणों के अन्त्याक्षर एक से हों। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सर्वातिथि :
|
पुं० [सं० ब० स०] वह जो सभी अतिथियो का आतिथ्य करता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सर्वात्मवाद :
|
पुं० [सं०] १. भारतीय दर्शन में शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैतवाद जिसमें सृष्टि की सभी चीजों को एक ही आत्मा से युक्त माना गया है। २. आजकल पाश्चात्य दर्शन के आधार पर माना जानेवाला यह मत या सिद्धान्त कि सृष्टि के सभी पदार्थ आत्मा से युक्त है, भले ही अचेतन या जड़ पदार्थों की आत्मा सुप्तावस्था में हों। सर्वेश्वरवाद (पैनिन्थिइज़्म)। विशेष—इसमें ईश्वर का कोई पृथक् अस्तित्व या स्वतन्त्र अस्तित्व नही माना जाता, बल्कि यह माना जाता है कि जो कुछ है वह सब ईश्वर की आत्मा या शक्ति से युक्त है और ईश्वर की व्याप्ति सब में है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सर्वात्मा (त्मन्) :
|
पुं० [सं० ष० त०] १. सब की या सारे विश्व की आत्मा। सत्ता। २. परमात्मा। ब्रह्म। ३. शिव। ४. अर्हत्। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |