शब्द का अर्थ
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आँग :
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पुं० [सं० अङ्] १. अंग। २. प्रति चौपाये के हिसाब से ली जानेवाली चराई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
आंगक :
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वि० [सं० अंग+वुञ्-अक] अंग देश से संबंध रखनेवाला। अंग देश का। |
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आँगन :
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पुं० [सं० अंगण√अञ्ज्, प्रा० मरा० अंगण, गु० आंगुणु, आंगनियु० सिं० अङणु, बँ० उ० पं० अं (आं) गन] १. घर के अंदर या सामने का खुला चौकोर स्थान जो ऊपर से छाया हो। चौक। सहन। २. रहस्य संप्रदाय में अंतःकरण। |
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आँगरी :
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स्त्री०=उँगली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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आंगारिक :
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वि० [सं० अंगार+ठक्-इक] १. अंगार-संबंधी। २. अंगारों पर पकने या बननेवाला (खाद्य पदार्थ)। |
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आंगिक :
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वि० [सं० अंग+ठक्-इक] १. अंग या अंगो से संबंध रखनेवाला। २. शारीरिक क्रियाओं, चेष्टाओं या संकेतों द्वारा अभिव्यक्त होनेवाला। जैसे—आंगिक अनुबाव आंगिक अभिनय आदि। ३. दे० ‘कायिक’। पुं० वह जो मृदंग बजाता हो। पखावजी। |
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आंगिक-अभिनय :
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पुं० [सं० कर्म० स०] ऐसा अभिनय जिसमें नट या नर्तक अपनी शारीरिक क्रियाओं, चेष्टाओं, संकेतों आदि से ही अपने मनोगत भावों की अभिव्यक्ति करता अथवा कोई स्थिति दिखाता हो। अभिनय के चार भेदों में से एक (शेष तीन अंग है—आहार्य, वाचिक और सात्त्विक)। |
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आंगिरस :
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पुं० [सं० अंगिरस+अण] १. अँगिरा ऋषि के तीन पुत्र-बृहस्पति, उतथ्य तथा संवर्त। २. अंगिरा के गोत्र का व्यक्ति। वि० अंगिरा संबंधी अंगिरा का। |
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आँगी :
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स्त्री०=अँगिया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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आँगुर :
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स्त्री०=उँगली(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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आँगुरी :
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स्त्री०=उँगली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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आँगुल :
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पुं० [सं० अंगुल+अण] दे० ‘अंगुल’। |
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