शब्द का अर्थ
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ओं :
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पुं० [सं० ] परब्रह्म का वाचक शब्द। प्रणव मंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंइछना :
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स० [सं० अंचन=पूजा करना] निछावर करना। वारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंकना :
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अ० [अनु] १. खिंचना। २. दूर करना। हटना। उदाहरण—कांदि उठी कमला मन सोचति मोसों कहा हरि को मन ओंको।—सुदामा। अ० दे० ‘ओकना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंकार :
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पुं० [सं० ओं+कार] १. ‘ओं’ शब्द जो परब्रह्म का वचाक है। २. सोहन चिड़ियाँ नामक पक्षी। ३. उक्त पक्षी पर जो शोभा के लिए टोपी, पगड़ी आदि में लगाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंकार-नाथ :
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पुं० [कर्म० स०] शिव के बारह लिंगों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंगन :
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पुं० [हिं० ओंगना] गाड़ी की धुरी में दिया जानेवाला तेल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंगना :
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स० [सं० अञ्जन] गाड़ी की धुरी में तेल देना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंगा :
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पुं० [सं० अपामार्ग] चिचड़ा। लटजीरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंठ :
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पुं० [सं० ओष्ठ, प्रा० ओट्ठ] मुँह के ऊपर और नीचे के दोनों बाहरी मांसल परत या भाग। होंठ। मुहावरा—ओंठ काटना या चबाना=अत्यधिक क्रुद्ध होने पर अपने आपको प्रतिकार करने से बलपूर्वक रोकना। ओठ चाटना=कोई स्वादिष्ट वस्तु खाने के समय ओंठों पर जीभ फेरते हुए उसका और अधिक स्वाद लेना। ओंठ फड़कना=क्रोध प्रकट करने या कुछ कहने के लिए आतुरता के लक्षण के रूप में ओंठों का रह-रहकर हिलना। ओंठों में कहना=बहुत मंद स्वर में कुछ कहना। बहुत धीरे-धीरे कहना या बोलना। ओंठो में मुस्कराना=बहुत धीरे-धीरे हँसना। ओंठ हिलना=बहुत देर तक मौन रहने के बाद मुँह से कोई बात निकलना। ओंठ हिलाना=बहुत कठिनता से कुछ कहना या बोलना। कोई बात ओंठों पर होना=विस्मृत बात फिर से स्मरण होने पर मुँह से निकलने को होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंड़ा :
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वि० [सं० कुंडी] गहरा। पुं० १. गड्ढा। २. सेंध।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंहट :
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क्रि० वि० [हिं० ओट का पू रूप] १. ओट या आड़ में० २. दूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओं :
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पुं० [सं० ] परब्रह्म का वाचक शब्द। प्रणव मंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
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ओंइछना :
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स० [सं० अंचन=पूजा करना] निछावर करना। वारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओंकना :
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अ० [अनु] १. खिंचना। २. दूर करना। हटना। उदाहरण—कांदि उठी कमला मन सोचति मोसों कहा हरि को मन ओंको।—सुदामा। अ० दे० ‘ओकना’। |
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ओंकार :
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पुं० [सं० ओं+कार] १. ‘ओं’ शब्द जो परब्रह्म का वचाक है। २. सोहन चिड़ियाँ नामक पक्षी। ३. उक्त पक्षी पर जो शोभा के लिए टोपी, पगड़ी आदि में लगाया जाता है। |
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ओंकार-नाथ :
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पुं० [कर्म० स०] शिव के बारह लिंगों में से एक। |
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ओंगन :
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पुं० [हिं० ओंगना] गाड़ी की धुरी में दिया जानेवाला तेल। |
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ओंगना :
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स० [सं० अञ्जन] गाड़ी की धुरी में तेल देना। |
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ओंगा :
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पुं० [सं० अपामार्ग] चिचड़ा। लटजीरा। |
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ओंठ :
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पुं० [सं० ओष्ठ, प्रा० ओट्ठ] मुँह के ऊपर और नीचे के दोनों बाहरी मांसल परत या भाग। होंठ। मुहावरा—ओंठ काटना या चबाना=अत्यधिक क्रुद्ध होने पर अपने आपको प्रतिकार करने से बलपूर्वक रोकना। ओठ चाटना=कोई स्वादिष्ट वस्तु खाने के समय ओंठों पर जीभ फेरते हुए उसका और अधिक स्वाद लेना। ओंठ फड़कना=क्रोध प्रकट करने या कुछ कहने के लिए आतुरता के लक्षण के रूप में ओंठों का रह-रहकर हिलना। ओंठों में कहना=बहुत मंद स्वर में कुछ कहना। बहुत धीरे-धीरे कहना या बोलना। ओंठो में मुस्कराना=बहुत धीरे-धीरे हँसना। ओंठ हिलना=बहुत देर तक मौन रहने के बाद मुँह से कोई बात निकलना। ओंठ हिलाना=बहुत कठिनता से कुछ कहना या बोलना। कोई बात ओंठों पर होना=विस्मृत बात फिर से स्मरण होने पर मुँह से निकलने को होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंड़ा :
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वि० [सं० कुंडी] गहरा। पुं० १. गड्ढा। २. सेंध।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओंहट :
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क्रि० वि० [हिं० ओट का पू रूप] १. ओट या आड़ में० २. दूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |