शब्द का अर्थ
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चंडाल :
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वि० [सं०√चंड् (कोप)+आलञ्] [स्त्री० चंडालिन, चंडालिनी]=चांडाल। वि० बहुत ही निकृष्ट या नृशंस् कर्म करनेवाला। पुं० १. एक बहुत निकृष्ट या निम्न जाति जिसकी उत्पत्ति शूद्र पिता तथा ब्राह्मणी माता से मानी जाती है। २. उक्त जाति का पुरुष। |
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चंडाल-कंद :
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पुं० [मध्य० स०] एक प्रकार का कंद जो कफ-पित्त नाशक तथा रक्त शोधक माना जाता है। |
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चंडालता :
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स्त्री० [सं० चंडाल+तल्-टाप्] चंडाल या चांडाल होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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चंडालत्व :
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पुं० [सं० चंडाल+त्व]=चंडालता। |
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चंडाल-पक्षी (क्षिन्) :
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पुं० [कर्म० स०] कौआ। |
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चंडाल-बाल :
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पुं० [हिं० चंडाल+बाल] कुछ लोगों के माथे पर उगनेवाला वह कड़ा और मोटा बाल जो अशुभ फलदायक माना जाता है। |
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चंडाल-वल्लकी :
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स्त्री०=चंडाल-वीणा। |
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चंडाल-वीणा :
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स्त्री० [ष० त०] एक प्रकार का चिकारा या तँबूरा। |
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चंडालिका :
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स्त्री० [सं० चंडाल+ठन्-इक,टाप्] १.दुर्गा। २. चंडालवीणा। ३. एक प्रकार का वृक्ष जिसकी पत्तियाँ दवा के काम आती है। |
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चंडालिनी :
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पुं० [सं० चंडाल+इनि-ङीष्] १.चंडाल वर्ण की स्त्री। २. बहुत ही दुष्ट और निकृष्ट स्वभाववाली स्त्री। ३. वह दोहा जिसके आरंभ में जगण पड़ा हो (अशुभ) |
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