शब्द का अर्थ
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चादर :
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स्त्री० [फा०] १. कपड़े का वह आयताकार टुकड़ा जिसे सोते समय लोग नीचे बिछाते अथवा ऊपर ओढ़ते हैं। २. उक्त आकार-प्रकार का वह टुकड़ा जिसे स्त्रियाँ धड़ पर लपेटती तथा उसके कुछ अंश से सिर ढकती हैं और जो प्रतिष्ठा मर्यादा आदि का सूचक होता है। मुहावरा–(किसीका) चादर उतारना=अपमानित या अप्रतिष्ठित करना। नष्ट करना। चादर रहनाकुल या परिवार की मर्यादा रक्षित रहना। प्रतिष्ठा का बना रहना। चादर से बाहर पर फैलाना=अपनी बिसात, योग्यता या शक्ति से अधिक काम या व्यय करना। चादर हिलाना=युद्ध में शत्रुओं से घिरे हुए सैनिकों का आत्म-समर्पण का संकेत करने के लिए कपड़ा हिलाना। युद्ध रोकने का झंडा दिखाना। ३. स्त्रियों के ओढ़ने का उक्त प्रकार का कपड़ा जो उनके सधवा या सौभाग्यवती होने का सूचक होता है। मुहावरा–(किसी स्त्री को) चादर ओढ़ाना=किसी विधवा को पत्नी बनाकर अपने घर में रखना। ४. किसी धातु का बहुत बड़ा आयताकार और पतला पत्तर। जैसे–टीन, पीतल या शीशे की चादर। ५. ऊपर से गिरते या बहते हुए पानी की वह धारा जिसकी चौंड़ाई अधिक और मोटाई कम हो। ६. बढ़ी हुई नदी के वेगपूर्ण प्रवाह में स्थान-स्थान पर पानी का वह फैलाव जो बिलकुल समतल होता है और जिसमें भँवर या हिलोरा नहीं होता। ७. फूलों आदि की बनी हुई वह लंबी-चौड़ी और चौकोर रचना जो चँदोए, चादर आदि के रूप में किसी धार्मिक या पूज्य स्थान पर चढ़ाई जाती है। (मुसलमान) जैसे–किसी मजार पर चादर चढ़ाना। ८. एक प्रकार की आतिशबाजी जिसमें यथेष्ट लंबाई और चौड़ाई में फुलझड़ियाँ झड़ती हैं। झरना। |
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समानार्थी शब्द-
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चादर छिपौवल :
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स्त्री० [हिं०] लड़कों का एक खेल जिसमें वे किसी लड़के के ऊपर चादर डालकर लडकों से उसका नाम पूछते हैं। जो लड़का ठीक नाम बता देता है वह चादर से ढके हुए लड़के को स्त्री बनाकर ले जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
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चादरा :
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पुं० [हिं० चादर] पुरुषों के ओढ़ने-बिछाने की बड़ी चादर। |
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समानार्थी शब्द-
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