शब्द का अर्थ
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दंश :
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पुं० [सं०√दंश् (काटना)+घञ्,अथवा अच्] १. दाँत से काटने की क्रिया या भाव। २. वह क्षत या घाव, जो किसी के दाँतों से काटने पर होता है। दंत-क्षत। ३. किसी कीड़े या जानवर के काटने से होनेवाला क्षत या घाव। जैसे—सर्प-दंश। ४. दाँत। ५. जहरीले जानवरों का डंक। ६. एक प्रकार की मक्खी, जिसके डंक में जहर होता है। डाँस। ७. कोई ऐसी बहुत कठोर और चुभती हुई बात जिससे मन को बहुत अधिक कष्ट हो। कष्टप्रद कटूक्ति। ८. द्वेष। वैर। क्रि० प्र०—रखना। ९. लड़ाई में पहना जानेवाला बखतर। वर्म। १॰. महाभारत के अनुसार सत्ययुग का एक असुर, जो भृगु मुनि की पत्नी को उठा ले गया था और जो उक्त मुनि के शाप से मल-मूत्र का कीड़ा हो गया था। |
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समानार्थी शब्द-
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दंशक :
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वि० [सं०√दंश् (काटना)+ण्वुल्—अक] दाँतों से काटनेवाला। पुं० डाँस या दंश नाम की मक्खी। |
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दंशन :
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पुं० [सं०√दंश्+ल्युट्—अन] [वि० दंशित, दंशी] १. दाँतों से काटने की क्रिया या भाव। २. वर्म। बखतर। |
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दंशना :
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स० [सं० दंशन] १. दाँत से काटना। २. डंक मारना। डसना। |
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दंशभीरु :
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पुं० [पं० त०] भैंस या भैसा, जो मच्छरों से बहुत डरता हो। |
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दंश-मूल :
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पुं० [ब० स०] सहिंजन का पेड़। |
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दंशित :
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भू० कृ० [सं०√दंश्+णिच्+क्त] १. जिसे किसी ने दाँत से काटा हो। दाँत से काटा हुआ। २. जिसे किसी ने डंक मारा या डसा हो। |
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दंशी (शिन्) :
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वि० [सं०√दंश्+णिनि] [स्त्री० दंशिनी] १. दाँत से काटने या डसनेवाला। २. कड़ी और चुभती या लगती हुई बात कहनेवाला। ३. द्वेष या वैर का भाव रखकर हानि पहुँचानेवाला। स्त्री० [सं० दंश+ङीष्] एक प्रकार का छोटा मच्छर। |
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दंशूक :
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वि० [सं०√दंश् (डसना)+ऊक (बा०)] डँसनेवाला। (जीव)। |
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