शब्द का अर्थ
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परिवर्तन :
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पुं० [सं० परि√वृत्+ल्युट्—अन] [वि० परिवर्तनीय, परिवर्तित, परिवर्ती] १. इधर-उधर घूमना-फिरना। २. चक्कर या फेरा लगाना। घुमाव। चक्कर फेरा। ४. किसी काल या युग का अंत या समाप्ति। ५. एक चीज के बदले में दूसरी चीज देना। विशेषतः किसी की पसंद या सुभीते की चीज उसे देकर उसके बदले में अपनी पसंद या सुभीते की चीज लेना। (कम्यूटेशन) जैसे—नोटों का रुपये में और रुपये का रेजगी में परिवर्तन। ६. वह चीज जो इस प्रकार बदले में दी या ली जाय। ६. किसी की आकृति, गुण, रूप, स्थिति आदि में होनेवाला फेर-फार, सुधार, ह्रास आदि। जैसे—रंग, स्वास्थ्य या हृदय का परिवर्तन। ८. वह क्रिया जो किसी चीज या बात का रूप बदलने अथवा उसे नया रूप देने के लिए की जाय। (चेंज) ९. एक के स्थान पर दूसरे के आने का भाव। जैसे—ऋतु का परिवर्तन, पहनावे का परिवर्तन। १॰. भारतीय युद्ध-कला में शत्रु पर प्रहार करने के लिए उसके चारों ओर घूमना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवर्तनीय :
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वि० [सं० परि√वृत्+अनीयर्] जिसमें परिवर्तन किया जाने को हो। |
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परिवर्तन :
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पुं० [सं० परि√वृत्+ल्युट्—अन] [वि० परिवर्तनीय, परिवर्तित, परिवर्ती] १. इधर-उधर घूमना-फिरना। २. चक्कर या फेरा लगाना। घुमाव। चक्कर फेरा। ४. किसी काल या युग का अंत या समाप्ति। ५. एक चीज के बदले में दूसरी चीज देना। विशेषतः किसी की पसंद या सुभीते की चीज उसे देकर उसके बदले में अपनी पसंद या सुभीते की चीज लेना। (कम्यूटेशन) जैसे—नोटों का रुपये में और रुपये का रेजगी में परिवर्तन। ६. वह चीज जो इस प्रकार बदले में दी या ली जाय। ६. किसी की आकृति, गुण, रूप, स्थिति आदि में होनेवाला फेर-फार, सुधार, ह्रास आदि। जैसे—रंग, स्वास्थ्य या हृदय का परिवर्तन। ८. वह क्रिया जो किसी चीज या बात का रूप बदलने अथवा उसे नया रूप देने के लिए की जाय। (चेंज) ९. एक के स्थान पर दूसरे के आने का भाव। जैसे—ऋतु का परिवर्तन, पहनावे का परिवर्तन। १॰. भारतीय युद्ध-कला में शत्रु पर प्रहार करने के लिए उसके चारों ओर घूमना। |
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परिवर्तनीय :
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वि० [सं० परि√वृत्+अनीयर्] जिसमें परिवर्तन किया जाने को हो। |
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