शब्द का अर्थ
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पर्परी :
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स्त्री० [सं० पर्प√रा (देना)+क+ङीष्] स्त्रियों की कवरी। जूड़ा। स्त्री० [सं० पर्पट] १. पापड़ के छोटे छोटे टुकड़े। २. कचरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पर्परीक :
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पुं० [सं०√पृ+ईकन्, द्वित्व, रुक्] १. सूर्य। २. अग्नि। ३. जलाशय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पर्परीण :
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पुं० [सं०√पृ+यङ्, लुक्,+इनन्] पत्ते की नस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पर्परी :
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स्त्री० [सं० पर्प√रा (देना)+क+ङीष्] स्त्रियों की कवरी। जूड़ा। स्त्री० [सं० पर्पट] १. पापड़ के छोटे छोटे टुकड़े। २. कचरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पर्परीक :
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पुं० [सं०√पृ+ईकन्, द्वित्व, रुक्] १. सूर्य। २. अग्नि। ३. जलाशय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पर्परीण :
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पुं० [सं०√पृ+यङ्, लुक्,+इनन्] पत्ते की नस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |