शब्द का अर्थ
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पाँच :
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वि० [सं० पंच] जो गिनती में चार से एक अधिक अथवा छः से एक कम हो। मुहा०—(किसी की) पाँचों उँगलियाँ घी में होना=हर काम में किसी को सफलता मिलना या लाभ होना। पाँचों सवारों में नाम लिखाना या पाँचवें सवार बनना=जबरदस्ती अपने को अपने से श्रेष्ठ मनुष्यों की पंक्ति या श्रेणी में गिनना या समझना। औरों के साथ अपने को भी श्रेष्ठ गिनना। बड़ा बतलाने या समझने लगना। पद—पाँच जने जी जमात=घर-गृहस्थी और परिवार। पुं० [सं० पंच] १. पाँच का सूचक अंक या संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है—५। २. जात-बिरादरी या समाज के अच्छे या मुख्य लोग। ३. सब अच्छे आदमी। उदा०—जो पाँचहिं मत लागै नीका।—तुलसी। वि० बहुत अधिक चालाक या होशियार। उदा०—मेरे फंदे में एक भी न फँसा। पाँच बन्नो थी जिससे चार उलझे।—जान साहब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचक :
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पुं०, स्त्री०=पंचक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचकपाल :
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वि० [सं० पंचकपाल+अण्] पंचकपाल संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचजनी :
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स्त्री० [सं० पंचजन+अण्—ङीप्] भागवत के अनुसार पंचजन नामक प्रजापति की असिकी नामक कन्या का दूसरा नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचजन्य :
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पुं० [सं० पचंजन+ण्य] १. पंचजन राक्षस का वह शंख जो भगवान कृष्ण उठाकर ले गये थे और स्वयं बजाया करते थे। २. विष्णु के शंख का नाम। ३. जम्बू द्वीप का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचदश्य :
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पुं० [सं० पंचदशन्+ण्य] पंचनद या पंजाब-संबंधी। पुं० १. पंजाब का निवासी। २. पंजाब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचपंच :
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पुं० बहु० [हिं०] सब या मुख्य मुख्य लोग। जैसे—पाँच पंच जो कुछ कहें, वह हम मानने को तैयार हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांच-भौतिक :
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वि० [सं० पंचभूत+ठक्—इक] १. जिसका संबंध पंचभूतों से हो। २. पंच-भूतों से मिलकर बना हुआ। जैसे—पांच भौतिक शरीर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचयज्ञिक :
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वि० [सं० पंचयज्ञ+ठक्—इक] पंच यज्ञ-संबंधी। पुं० पाँच प्रकार के यज्ञों में से प्रत्येक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचर :
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पुं० [सं० पंजर] कोल्हू के बीच में जड़े हुए लकड़ी के वे छोटे टुकड़ो जो गन्ने के टुकड़ों को दबाने के लिए लगाये जाते हैं। पुं०=पच्चर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचरात्र :
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पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचवर्षिक :
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वि० [सं० पंचवर्ष+ठञ्—इक] पाँच वर्षों में होनेवाला। पंचवर्षीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचवाँ :
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वि० [हिं० पाँच+वाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० पाँचवीं] क्रम या गिनती में पाँच के स्थान पर पड़नेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचशाब्दिक :
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पुं० [सं० पंचशब्द+ठक्—इक] करताल, ढोल, बीन, घंटा और भेरी ये पाँच प्रकार के बाजे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचा :
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पुं० [हिं० पाँच] खेत का एक उपकरण जिसमें एक डंडे के साथ छोटी फूलकड़ियां लगी रहती हैं। यह प्रायः कटी हुई फसल या घास-भूसा इकट्ठा करने के काम आता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचार्थिक :
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पुं० [सं० पंचार्थ+ठन्—इक, वृद्धि (बा०)] शैव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचाल :
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वि० [सं० पंचाल+अण्] १. पंचाल देश से संबंध रखनेवाला। पंचाल का। २. पंचाल देश में होनेवाला। पुं० १. पंचाल जाति के लोगों का देश जो भारत के पश्चिमोत्तर खंड में था। २. पंचाल जाति के लोग। ३. प्राचीन भारत में, बढ़इयों, नाइयों, जुलाहों, धोबियों और चमारों के पाँचों वर्गों का समूह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचालक :
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वि० [सं० पांचाल+कन्] पंचालवासियों के संबंध का। पुं० पंचाल देश का राजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचाल-मध्यमा :
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स्त्री० [सं०] भारतीय नाट्य कला में, एक प्रकार की प्रवृत्ति या बात-चीत वेश-भूषा आदि का ढंग, प्रकार या रूप जो पांचाल शूरसेन, कश्मीर, वाह्लीक, मद्र आदि जनपदों की रहन-सहन आदि के अनुकरण पर होता था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचालिका :
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स्त्री० [सं० पांचाली+कन्+टाप्, ह्रस्व]=पंचालिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचाली :
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स्त्री० [सं० पंचाल+अण्—ङीष्] १. पंचाल देश की स्त्री। २. पाँचों पांडवों की पत्नी द्रोपदी जो पांचाल देश की राजकुमारी थी। ३. साहित्यिक रचनाओं की एक विशिष्ट रीति या शैली जो मुख्यतः माधुर्य, सुकुमारता आदि गुणों से युक्त होती है। इसमें प्रायः छोटे-छोटे समास और कर्ण-मधुर पदावलियाँ होती हैं। किसी किसी के मत से गौड़ी और वैदर्भी वृत्तियों के सम्मिश्रण को भी पांचाली कहते हैं। ४. संगीत में (क) स्वर-साधन की एक प्रणाली; और (ख) इन्द्र ताल के छः भेदों में से एक। ५. छोटी पीपल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचो :
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स्त्री० [हिं० पच्ची का पुराना रूप] रत्नों आदि के जड़ाव का काम। पच्चीकारी। उदा०—जाग्रत सपनु रहत ऊपर मनि, ज्यों कंचन संग पांची।—हित हरिवंश। स्त्री० [देश०] एक तरह की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचेक :
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वि० [हिं० पाँच+एक] १. पाँच के लगभग। २. थोड़े-से जैसे—वहाँ पाँचेक आदमी आये थे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचै :
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स्त्री० [हिं० पंचमी] किसी पक्ष की पाँचवीं तिथि। पंचमी। |
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समानार्थी शब्द-
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पाँच :
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वि० [सं० पंच] जो गिनती में चार से एक अधिक अथवा छः से एक कम हो। मुहा०—(किसी की) पाँचों उँगलियाँ घी में होना=हर काम में किसी को सफलता मिलना या लाभ होना। पाँचों सवारों में नाम लिखाना या पाँचवें सवार बनना=जबरदस्ती अपने को अपने से श्रेष्ठ मनुष्यों की पंक्ति या श्रेणी में गिनना या समझना। औरों के साथ अपने को भी श्रेष्ठ गिनना। बड़ा बतलाने या समझने लगना। पद—पाँच जने जी जमात=घर-गृहस्थी और परिवार। पुं० [सं० पंच] १. पाँच का सूचक अंक या संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है—५। २. जात-बिरादरी या समाज के अच्छे या मुख्य लोग। ३. सब अच्छे आदमी। उदा०—जो पाँचहिं मत लागै नीका।—तुलसी। वि० बहुत अधिक चालाक या होशियार। उदा०—मेरे फंदे में एक भी न फँसा। पाँच बन्नो थी जिससे चार उलझे।—जान साहब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचक :
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पुं०, स्त्री०=पंचक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचकपाल :
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वि० [सं० पंचकपाल+अण्] पंचकपाल संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचजनी :
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स्त्री० [सं० पंचजन+अण्—ङीप्] भागवत के अनुसार पंचजन नामक प्रजापति की असिकी नामक कन्या का दूसरा नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचजन्य :
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पुं० [सं० पचंजन+ण्य] १. पंचजन राक्षस का वह शंख जो भगवान कृष्ण उठाकर ले गये थे और स्वयं बजाया करते थे। २. विष्णु के शंख का नाम। ३. जम्बू द्वीप का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचदश्य :
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पुं० [सं० पंचदशन्+ण्य] पंचनद या पंजाब-संबंधी। पुं० १. पंजाब का निवासी। २. पंजाब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचपंच :
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पुं० बहु० [हिं०] सब या मुख्य मुख्य लोग। जैसे—पाँच पंच जो कुछ कहें, वह हम मानने को तैयार हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांच-भौतिक :
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वि० [सं० पंचभूत+ठक्—इक] १. जिसका संबंध पंचभूतों से हो। २. पंच-भूतों से मिलकर बना हुआ। जैसे—पांच भौतिक शरीर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचयज्ञिक :
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वि० [सं० पंचयज्ञ+ठक्—इक] पंच यज्ञ-संबंधी। पुं० पाँच प्रकार के यज्ञों में से प्रत्येक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचर :
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पुं० [सं० पंजर] कोल्हू के बीच में जड़े हुए लकड़ी के वे छोटे टुकड़ो जो गन्ने के टुकड़ों को दबाने के लिए लगाये जाते हैं। पुं०=पच्चर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचरात्र :
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पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचवर्षिक :
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वि० [सं० पंचवर्ष+ठञ्—इक] पाँच वर्षों में होनेवाला। पंचवर्षीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचवाँ :
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वि० [हिं० पाँच+वाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० पाँचवीं] क्रम या गिनती में पाँच के स्थान पर पड़नेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचशाब्दिक :
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पुं० [सं० पंचशब्द+ठक्—इक] करताल, ढोल, बीन, घंटा और भेरी ये पाँच प्रकार के बाजे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचा :
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पुं० [हिं० पाँच] खेत का एक उपकरण जिसमें एक डंडे के साथ छोटी फूलकड़ियां लगी रहती हैं। यह प्रायः कटी हुई फसल या घास-भूसा इकट्ठा करने के काम आता है। |
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पांचार्थिक :
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पुं० [सं० पंचार्थ+ठन्—इक, वृद्धि (बा०)] शैव। |
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पांचाल :
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वि० [सं० पंचाल+अण्] १. पंचाल देश से संबंध रखनेवाला। पंचाल का। २. पंचाल देश में होनेवाला। पुं० १. पंचाल जाति के लोगों का देश जो भारत के पश्चिमोत्तर खंड में था। २. पंचाल जाति के लोग। ३. प्राचीन भारत में, बढ़इयों, नाइयों, जुलाहों, धोबियों और चमारों के पाँचों वर्गों का समूह। |
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पांचालक :
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वि० [सं० पांचाल+कन्] पंचालवासियों के संबंध का। पुं० पंचाल देश का राजा। |
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पांचाल-मध्यमा :
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स्त्री० [सं०] भारतीय नाट्य कला में, एक प्रकार की प्रवृत्ति या बात-चीत वेश-भूषा आदि का ढंग, प्रकार या रूप जो पांचाल शूरसेन, कश्मीर, वाह्लीक, मद्र आदि जनपदों की रहन-सहन आदि के अनुकरण पर होता था। |
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पांचालिका :
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स्त्री० [सं० पांचाली+कन्+टाप्, ह्रस्व]=पंचालिका। |
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पांचाली :
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स्त्री० [सं० पंचाल+अण्—ङीष्] १. पंचाल देश की स्त्री। २. पाँचों पांडवों की पत्नी द्रोपदी जो पांचाल देश की राजकुमारी थी। ३. साहित्यिक रचनाओं की एक विशिष्ट रीति या शैली जो मुख्यतः माधुर्य, सुकुमारता आदि गुणों से युक्त होती है। इसमें प्रायः छोटे-छोटे समास और कर्ण-मधुर पदावलियाँ होती हैं। किसी किसी के मत से गौड़ी और वैदर्भी वृत्तियों के सम्मिश्रण को भी पांचाली कहते हैं। ४. संगीत में (क) स्वर-साधन की एक प्रणाली; और (ख) इन्द्र ताल के छः भेदों में से एक। ५. छोटी पीपल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पांचो :
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स्त्री० [हिं० पच्ची का पुराना रूप] रत्नों आदि के जड़ाव का काम। पच्चीकारी। उदा०—जाग्रत सपनु रहत ऊपर मनि, ज्यों कंचन संग पांची।—हित हरिवंश। स्त्री० [देश०] एक तरह की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचेक :
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वि० [हिं० पाँच+एक] १. पाँच के लगभग। २. थोड़े-से जैसे—वहाँ पाँचेक आदमी आये थे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाँचै :
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स्त्री० [हिं० पंचमी] किसी पक्ष की पाँचवीं तिथि। पंचमी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |