शब्द का अर्थ
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पितृ :
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पुं० [सं०√पा (रक्षा करना)+तृच्] १. किसी व्यक्ति के बाप, दादा, परदादा आदि मृत-पूर्वज। २. ऐसा मृत व्यक्ति जो प्रेतत्व से मुक्त हो चुका हो। ३. एक प्रकार के देवता जो सब जीवों के आदि पूर्वज माने गये हैं। ४. पिता। |
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समानार्थी शब्द-
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पितृ-ऋण :
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पुं० [ष० त०] धर्म-शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य के तीन ऋणों में से एक जिसे लेकर वह जन्म ग्रहण करता है। कहा गया है कि पुत्र उत्पन्न करने से उस ऋण से मुक्ति होती है। |
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पितृक :
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वि० [सं० पैतृक, पृषो० सिद्धि] १. पितृ-संबंधी। पितरों का। पैतृक। २. पिता का दिया हुआ। पिता के द्वारा प्राप्त। पैतृक। ३. (उत्तराधिकार, व्यवहार आदि की प्रथा) जिसमें गृहपति या पिता का पक्ष प्रधान माना जाता है, गृहस्वामिनी या माता के पक्ष का कोई विचार नहीं होता। (पेट्रिआर्कल) |
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पितृ-कर्म (न्) :
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पुं० [मध्य० स०] पितरों के उद्देश्य से किये जानेवाले श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म। |
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पितृ-कल्प :
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पुं० [मध्य० स०] श्राद्धादि कर्म। |
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पितृ-कानन :
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पुं० [ष० त०] श्मशान। मरघट। |
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पितृ-कार्य :
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पुं० [मध्य० स०]=पितृ-कर्म। |
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पितृ-कुल :
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पुं० [ष० त०] बाप-दादा, परदादा या उनके भाई बंधुओं आदि का कुल। |
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पितृ-कुल्या :
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स्त्री० [मध्य० स०] एक तीर्थस्थान। (महाभारत) |
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पितृ-कृत्य :
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पुं० [मध्य० स०] श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य जो पितरों के उदेश्य से किये जाते हैं। |
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पितृ-गण :
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पुं० [ष० त०] १. पितर। २. मरीचि आदि ऋषियों के पुत्र। |
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पितृ-गाथा :
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स्त्री० [मध्य० स०] पितरों द्वारा पढ़े जाने वाले कुछ विशेष श्लोक या गाथाएँ। |
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पितृगामी (मिन्) :
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वि० [सं० पितृ√गम् (जाना)+ णिनि] पिता-सम्बन्धी। |
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पितृ-गृह :
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पुं० [ष० त०] १. बाप का घर। विवाहिता स्त्री की दृष्टि से उसके माता-पिता का घर। मायका। २. श्मशान। |
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पितृ-ग्रह :
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पुं० [ष० त०] स्कंद आदि नौ ग्रहों में से एक। |
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पितृघात :
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पुं० [सं० पितृ√हन् (हिंसा)+अण्] [वि० पितृघातक, पितृघाती] पिता की की जानेवाली हत्या। |
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पितृ-तर्पण :
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पुं० [ष० त०] १. पितरों के उद्देश्य से किया जानेवाला जलदान। विशेष दे० तर्पण। २. तिल जिसमें पितरों का तर्पण किया जाता है। ३. गया नामक तीर्थ जहाँ श्राद्ध करने से पितरों का प्रेतयोनि से मुक्त होना माना जाता है। |
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पितृता :
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स्त्री० [सं० पितृ+तल्+टाप्]=पितृत्व। |
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पितृ-तिथि :
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स्त्री० [मध्य० स०] अमावस्या। |
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पितृतीर्थ :
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पुं० [मध्य० स०] १. गया नामक तीर्थ। २. मत्स्य पुराण के अनुसार गया, वाराणसी प्रयाग, विमलेश्वर आदि २२२ तीर्थ। ३. अँगूठे और तर्जनी के बीच का भाग, जिसमें से तर्पण का जल गिराया या छोड़ा जाता है। |
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पितृत्व :
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पुं० [सं० पितृ+त्व] पिता होने का भाव। |
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पितृ-दान :
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पुं० [च० त०] पितरों के उद्देश्य से किया जानेवाला दान। |
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पितृ-दान :
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पुं० [सं० ष० त०] उत्तराधिकार में पिता से मिलनेवाली संपत्ति। बपौती। |
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पितृ-दिन :
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पुं० [ष० त०] अमावस्या। |
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पितृ-देव :
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पुं० [ष० त०] पितरों के अधिष्ठाता देवता। अग्निष्वातादि पितरगण। |
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पितृ-देश :
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पुं० [ष० त०] किसी की दृष्टि से उसके पितरों या पूर्वजों के रहने का देश। वह देश जिसमें कोई अपने पूर्वजों के समय से रहता आया हो। (फादरलैंड)। |
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पितृ-दैवत :
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वि० [सं० पितृदेवता+अण्] पितृदेवता-संबंधी। पितरों की प्रसन्नता के लिए किया जानेवाला (यज्ञ आदि) पुं० मघा नक्षत्र। |
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पितृदैवत्य :
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वि० [सं० पितृदेवता+ष्यञ्] पितृदैवत। पुं० (कुछ विशिष्ट मासों की) अष्टमी के दिन किया जानेवला एक पितृ-कृत्य। |
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पितृ-नाथ :
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पुं० [ष० त०] १. यमराज। २. अर्यमा नाम के पितर जो सब पितरों में श्रेष्ठ हैं। |
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पितृ-पक्ष :
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पुं० [ष० त०] १. कुआर या आश्विन का कृष्णपक्ष। २. पितृकुल। |
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पितृ-पति :
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पुं० [ष० त०] यम। |
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पितृ-पद :
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पुं० [ष० त०] १. पितरों का देश या लोक। २. पितृ या पितर होने का पद या स्थिति। |
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पितृ-पिता (तृ) :
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पुं० [ष० त०] पितामह। |
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पितृपैतामह :
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वि० [सं० पितृपितामह+अण्] जिसका संबंध पिता-पितामह आदि से हो। बाप-दादों का। |
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पितृ-प्रसू :
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स्त्री० [ष० त०] १. पिता की माता। दादी। २. सायंकाल। संध्या। |
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पितृ-प्राप्त :
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वि० [पं.त०] जो पिता से मिला हो। |
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पितृप्रिय :
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पुं० [ष० त०] १. भँगेरा। भँगरैया। भृंगराज। २. अगस्त का पेड़। |
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पितृ-बंधु :
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पुं० [ष० त०] वह व्यक्ति जिससे संबंध पिता-पितामह आदि के विचार से हो। ‘मातृबंधु’ का विपर्याय। |
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पितृ-भक्त :
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वि० [ष० त०] [भाव० पितृभक्ति] अपने पिता की सेवा करने तथा उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करनेवाला। |
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पितृ-भक्ति :
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स्त्री० [ष० त०] पितृभक्त होने की अवस्था या भाव। पिता के प्रति होनेवाली भक्ति। |
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पितृ-भोजन :
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पुं० [ष० त०] १. पितरों को अर्पित किया जानेवाला भोजन। २. उड़द। माष। |
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पितृ-मंदिर :
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पुं० [ष० त०] १. पिता का घर। पितृ-गृह। २. श्मशान या मरघट जो पितरों का वास-स्थान माना गया है। |
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पितृ-मेध :
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पुं० [मध्य० स०] वैदिक काल का एक अंत्येष्टि क्रम जिसमें अग्निदान और दस पिंडदान आदि कृत्य होते थे। (श्राद्ध से भिन्न) |
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पितृ-यज्ञ :
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पुं० [मध्य० स०]=पितृ-तर्पण। |
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पितृ-याण :
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पुं० [ष० त०] १. मृत्यु के अनंतर जीव के पर-लोक जाने का वह मार्ग जिससे वह चंद्रमा में पहुँचता है। कहते है कि इस मार्ग में जाने वाले मृत व्यक्ति की आत्मा को निश्चित काल तक स्वर्ग आदि में सुख भोगकर फिर संसार में आना पड़ता है। २. वह मार्ग जिस पर पितर चलते हैं और अपने लिए नियत लोकों में जाते हैं। |
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पितृ-राज :
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पुं० [ष० त०] यम। |
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पितृ-रिष्ट :
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पुं० [ब० स०] फलित ज्योतिष के अनुसार एक योग जिसमें जन्म लेनेवाला बालक पिता के लिए घातक समझा जाता है। |
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पितृरूप :
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पुं० [सं० पितृ+रूपम्] शिव। |
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पितृ-लोक :
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पुं० [ष० त०] वह लोक जिसमें पितरों का निवास माना जाता है। |
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पितृ-वंश :
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पुं० [ष० त०] पिता का कुल। |
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पितृ-वन :
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पुं० [ष० त०] मरघट। श्मशान। |
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पितृवनेचर :
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पुं० [सं० अलुक् स०] १. पितृ-वन अर्थात् श्मशान में बसनेवाले जीव। भूत-प्रेत। २. शिव |
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पितृ-वसति :
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स्त्री० [ष० त०] श्मशान। |
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पितृ-वित्त :
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पुं० [ष० त०] बाप-दादों द्वारा छोड़ी हुई संपत्ति। पैतृक या मौरूसी जायदाद। |
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पितृ-वेश्म (न्) :
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पुं० [ष० त०] स्त्री के पिता का घर। नैहर। मायका। |
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पितृव्य :
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पुं० [सं० पितृ+व्यत्] १. पिता के तुल्य आदरणीय व्यक्ति। २. चाचा। |
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पितृ-व्रत :
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पुं० [मध्य० स०] पितृ-कर्म। वि० पितरों की पूजा करनेवाला। |
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पितृषद् :
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पुं० [सं० पितृ√सद्+क्विप्] =पितृ-गृह। (स्त्रियों के लिए) |
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पितृषदन :
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पुं० [सं० ष० त०] कुश। |
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पितृष्वसा (स्) :
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स्त्री० [सं० ष० त०] पिता की बहन। बूआ। फूफी। |
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पितृष्वस्राय :
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पुं० [सं० पितृष्वसृ+छ—ईय] बूआ का पुत्र । फुफेरा भाई। |
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पितृ-सद्म (न्) :
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पुं० [ष० त०] स्त्री के पिता का घर। मायका। |
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पितृसू :
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स्त्री० [सं० पितृ√सू (प्रसव करना)+क्विप्] १. दादी। २. सायंकाल। |
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पितृ-स्थान :
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पुं० [ष० त०] पिता का स्थान या पद। |
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पितृस्थानीय :
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वि० [सं० पितृस्थान+छ—ईय] १. पिता के स्थान पर होनेवाला या उसका समकक्ष। २. अभिभावक। |
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पितृ-हंता (तृ) :
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वि० [ष० त०]=पितृहा। |
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समानार्थी शब्द-
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पितृहा (हन्) :
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वि० [सं० पितृ√हन् (हिंसा)+क्विप्] जिसने पिता की हत्या की हो। |
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पितृहू :
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पुं० [सं० पितृ√ह्वे (बुलाना)+क्विप्] दाहिना कान। |
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पितृहूय :
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पुं० [सं० पितृ√ह्वे+क्यप् ?] श्राद्ध आदि कार्यों के समय पितरों का आह्वान करना। पितरों को बुलाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ :
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पुं० [सं०√पा (रक्षा करना)+तृच्] १. किसी व्यक्ति के बाप, दादा, परदादा आदि मृत-पूर्वज। २. ऐसा मृत व्यक्ति जो प्रेतत्व से मुक्त हो चुका हो। ३. एक प्रकार के देवता जो सब जीवों के आदि पूर्वज माने गये हैं। ४. पिता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-ऋण :
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पुं० [ष० त०] धर्म-शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य के तीन ऋणों में से एक जिसे लेकर वह जन्म ग्रहण करता है। कहा गया है कि पुत्र उत्पन्न करने से उस ऋण से मुक्ति होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृक :
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वि० [सं० पैतृक, पृषो० सिद्धि] १. पितृ-संबंधी। पितरों का। पैतृक। २. पिता का दिया हुआ। पिता के द्वारा प्राप्त। पैतृक। ३. (उत्तराधिकार, व्यवहार आदि की प्रथा) जिसमें गृहपति या पिता का पक्ष प्रधान माना जाता है, गृहस्वामिनी या माता के पक्ष का कोई विचार नहीं होता। (पेट्रिआर्कल) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कर्म (न्) :
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पुं० [मध्य० स०] पितरों के उद्देश्य से किये जानेवाले श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कल्प :
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पुं० [मध्य० स०] श्राद्धादि कर्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कानन :
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पुं० [ष० त०] श्मशान। मरघट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कार्य :
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पुं० [मध्य० स०]=पितृ-कर्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कुल :
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पुं० [ष० त०] बाप-दादा, परदादा या उनके भाई बंधुओं आदि का कुल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कुल्या :
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स्त्री० [मध्य० स०] एक तीर्थस्थान। (महाभारत) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-कृत्य :
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पुं० [मध्य० स०] श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य जो पितरों के उदेश्य से किये जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-गण :
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पुं० [ष० त०] १. पितर। २. मरीचि आदि ऋषियों के पुत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-गाथा :
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स्त्री० [मध्य० स०] पितरों द्वारा पढ़े जाने वाले कुछ विशेष श्लोक या गाथाएँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृगामी (मिन्) :
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वि० [सं० पितृ√गम् (जाना)+ णिनि] पिता-सम्बन्धी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-गृह :
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पुं० [ष० त०] १. बाप का घर। विवाहिता स्त्री की दृष्टि से उसके माता-पिता का घर। मायका। २. श्मशान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-ग्रह :
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पुं० [ष० त०] स्कंद आदि नौ ग्रहों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृघात :
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पुं० [सं० पितृ√हन् (हिंसा)+अण्] [वि० पितृघातक, पितृघाती] पिता की की जानेवाली हत्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-तर्पण :
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पुं० [ष० त०] १. पितरों के उद्देश्य से किया जानेवाला जलदान। विशेष दे० तर्पण। २. तिल जिसमें पितरों का तर्पण किया जाता है। ३. गया नामक तीर्थ जहाँ श्राद्ध करने से पितरों का प्रेतयोनि से मुक्त होना माना जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृता :
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स्त्री० [सं० पितृ+तल्+टाप्]=पितृत्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-तिथि :
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स्त्री० [मध्य० स०] अमावस्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृतीर्थ :
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पुं० [मध्य० स०] १. गया नामक तीर्थ। २. मत्स्य पुराण के अनुसार गया, वाराणसी प्रयाग, विमलेश्वर आदि २२२ तीर्थ। ३. अँगूठे और तर्जनी के बीच का भाग, जिसमें से तर्पण का जल गिराया या छोड़ा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृत्व :
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पुं० [सं० पितृ+त्व] पिता होने का भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-दान :
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पुं० [च० त०] पितरों के उद्देश्य से किया जानेवाला दान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-दान :
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पुं० [सं० ष० त०] उत्तराधिकार में पिता से मिलनेवाली संपत्ति। बपौती। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-दिन :
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पुं० [ष० त०] अमावस्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-देव :
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पुं० [ष० त०] पितरों के अधिष्ठाता देवता। अग्निष्वातादि पितरगण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-देश :
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पुं० [ष० त०] किसी की दृष्टि से उसके पितरों या पूर्वजों के रहने का देश। वह देश जिसमें कोई अपने पूर्वजों के समय से रहता आया हो। (फादरलैंड)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-दैवत :
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वि० [सं० पितृदेवता+अण्] पितृदेवता-संबंधी। पितरों की प्रसन्नता के लिए किया जानेवाला (यज्ञ आदि) पुं० मघा नक्षत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृदैवत्य :
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वि० [सं० पितृदेवता+ष्यञ्] पितृदैवत। पुं० (कुछ विशिष्ट मासों की) अष्टमी के दिन किया जानेवला एक पितृ-कृत्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-नाथ :
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पुं० [ष० त०] १. यमराज। २. अर्यमा नाम के पितर जो सब पितरों में श्रेष्ठ हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-पक्ष :
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पुं० [ष० त०] १. कुआर या आश्विन का कृष्णपक्ष। २. पितृकुल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-पति :
|
पुं० [ष० त०] यम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-पद :
|
पुं० [ष० त०] १. पितरों का देश या लोक। २. पितृ या पितर होने का पद या स्थिति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-पिता (तृ) :
|
पुं० [ष० त०] पितामह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृपैतामह :
|
वि० [सं० पितृपितामह+अण्] जिसका संबंध पिता-पितामह आदि से हो। बाप-दादों का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-प्रसू :
|
स्त्री० [ष० त०] १. पिता की माता। दादी। २. सायंकाल। संध्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-प्राप्त :
|
वि० [पं.त०] जो पिता से मिला हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृप्रिय :
|
पुं० [ष० त०] १. भँगेरा। भँगरैया। भृंगराज। २. अगस्त का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-बंधु :
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पुं० [ष० त०] वह व्यक्ति जिससे संबंध पिता-पितामह आदि के विचार से हो। ‘मातृबंधु’ का विपर्याय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-भक्त :
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वि० [ष० त०] [भाव० पितृभक्ति] अपने पिता की सेवा करने तथा उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-भक्ति :
|
स्त्री० [ष० त०] पितृभक्त होने की अवस्था या भाव। पिता के प्रति होनेवाली भक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-भोजन :
|
पुं० [ष० त०] १. पितरों को अर्पित किया जानेवाला भोजन। २. उड़द। माष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-मंदिर :
|
पुं० [ष० त०] १. पिता का घर। पितृ-गृह। २. श्मशान या मरघट जो पितरों का वास-स्थान माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-मेध :
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पुं० [मध्य० स०] वैदिक काल का एक अंत्येष्टि क्रम जिसमें अग्निदान और दस पिंडदान आदि कृत्य होते थे। (श्राद्ध से भिन्न) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-यज्ञ :
|
पुं० [मध्य० स०]=पितृ-तर्पण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-याण :
|
पुं० [ष० त०] १. मृत्यु के अनंतर जीव के पर-लोक जाने का वह मार्ग जिससे वह चंद्रमा में पहुँचता है। कहते है कि इस मार्ग में जाने वाले मृत व्यक्ति की आत्मा को निश्चित काल तक स्वर्ग आदि में सुख भोगकर फिर संसार में आना पड़ता है। २. वह मार्ग जिस पर पितर चलते हैं और अपने लिए नियत लोकों में जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-राज :
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पुं० [ष० त०] यम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-रिष्ट :
|
पुं० [ब० स०] फलित ज्योतिष के अनुसार एक योग जिसमें जन्म लेनेवाला बालक पिता के लिए घातक समझा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृरूप :
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पुं० [सं० पितृ+रूपम्] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-लोक :
|
पुं० [ष० त०] वह लोक जिसमें पितरों का निवास माना जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-वंश :
|
पुं० [ष० त०] पिता का कुल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-वन :
|
पुं० [ष० त०] मरघट। श्मशान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृवनेचर :
|
पुं० [सं० अलुक् स०] १. पितृ-वन अर्थात् श्मशान में बसनेवाले जीव। भूत-प्रेत। २. शिव |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-वसति :
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स्त्री० [ष० त०] श्मशान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-वित्त :
|
पुं० [ष० त०] बाप-दादों द्वारा छोड़ी हुई संपत्ति। पैतृक या मौरूसी जायदाद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पितृ-वेश्म (न्) :
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पुं० [ष० त०] स्त्री के पिता का घर। नैहर। मायका। |
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समानार्थी शब्द-
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पितृव्य :
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पुं० [सं० पितृ+व्यत्] १. पिता के तुल्य आदरणीय व्यक्ति। २. चाचा। |
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पितृ-व्रत :
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पुं० [मध्य० स०] पितृ-कर्म। वि० पितरों की पूजा करनेवाला। |
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पितृषद् :
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पुं० [सं० पितृ√सद्+क्विप्] =पितृ-गृह। (स्त्रियों के लिए) |
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पितृषदन :
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पुं० [सं० ष० त०] कुश। |
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पितृष्वसा (स्) :
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स्त्री० [सं० ष० त०] पिता की बहन। बूआ। फूफी। |
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पितृष्वस्राय :
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पुं० [सं० पितृष्वसृ+छ—ईय] बूआ का पुत्र । फुफेरा भाई। |
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पितृ-सद्म (न्) :
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पुं० [ष० त०] स्त्री के पिता का घर। मायका। |
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पितृसू :
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स्त्री० [सं० पितृ√सू (प्रसव करना)+क्विप्] १. दादी। २. सायंकाल। |
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पितृ-स्थान :
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पुं० [ष० त०] पिता का स्थान या पद। |
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पितृस्थानीय :
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वि० [सं० पितृस्थान+छ—ईय] १. पिता के स्थान पर होनेवाला या उसका समकक्ष। २. अभिभावक। |
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पितृ-हंता (तृ) :
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वि० [ष० त०]=पितृहा। |
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पितृहा (हन्) :
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वि० [सं० पितृ√हन् (हिंसा)+क्विप्] जिसने पिता की हत्या की हो। |
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पितृहू :
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पुं० [सं० पितृ√ह्वे (बुलाना)+क्विप्] दाहिना कान। |
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पितृहूय :
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पुं० [सं० पितृ√ह्वे+क्यप् ?] श्राद्ध आदि कार्यों के समय पितरों का आह्वान करना। पितरों को बुलाना। |
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