शब्द का अर्थ
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पूतिक :
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पुं० [सं० पूति√कै (भासित होना)+क] १. दुर्गंध। करंज। काँटा करंज। पूति करंज। २. पाखाना। विष्ठा। वि० १. जिसमें से दुर्गंध निकल रही हो। बदबूदार। २. (घाव) जिसमें विषाक्त कीटाणुओं के कारण सड़ायँध उत्पन्न कर सकता हो। (सेप्टिक, अन्तिम दोनों अर्थों के लिए) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतिका :
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स्त्री० [सं० पूतिक+टाप्] १. पोई का साग। २. एक प्रकार की मधुमक्खी। ३. बिल्ली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतिका-मुख :
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पुं० [ब० स०] घोंगा। शंबूक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतिकाष्ठक :
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पुं० [पूतिकाष्ठ+कन्] धूपसरल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतिकाह्र :
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पुं० [सं० पूतिक-आह्रा, ब० स०] पूति करंज। (दे०) |
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पूतिक :
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पुं० [सं० पूति√कै (भासित होना)+क] १. दुर्गंध। करंज। काँटा करंज। पूति करंज। २. पाखाना। विष्ठा। वि० १. जिसमें से दुर्गंध निकल रही हो। बदबूदार। २. (घाव) जिसमें विषाक्त कीटाणुओं के कारण सड़ायँध उत्पन्न कर सकता हो। (सेप्टिक, अन्तिम दोनों अर्थों के लिए) |
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पूतिका :
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स्त्री० [सं० पूतिक+टाप्] १. पोई का साग। २. एक प्रकार की मधुमक्खी। ३. बिल्ली। |
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पूतिका-मुख :
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पुं० [ब० स०] घोंगा। शंबूक। |
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पूतिकाष्ठक :
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पुं० [पूतिकाष्ठ+कन्] धूपसरल। |
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पूतिकाह्र :
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पुं० [सं० पूतिक-आह्रा, ब० स०] पूति करंज। (दे०) |
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