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लिपि  : स्त्री० [सं० लिप् (लीपना)+इन्, कित्त्व] १. लेप करने की क्रिया या भाव। लीपना। २. लिखने की क्रिया या भाव। ३. किसी लघुतम ध्वनि का सूचक अक्षर। जैसे—क्, ख्, ग् आदि। ४. किसी भाषा के लघुतम ध्वनि अक्षरों का समूह जो लिखने में प्रयुक्त होते हों।
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लिपिक  : पुं० [सं० लिपिकर] वह जो किसी कार्यालय में पत्रों की प्रतिलिपियाँ या साधारण पत्र आदि लिखता हो। मुहर्रिर। लेखक। (क्लर्क)।
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लिपिकर  : पुं० [सं० लिपि√कृ+ट] १. प्राचीन भारत में, वह शिल्पी जो शिलाओं आदि पर लेख अंकित करता या उकेरता था। २. दे० ‘लिपिक’।
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लिपिका  : स्त्री० [सं० लिपि+कन्+टाप्] लिपि। लिखावट।
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लिपिकार  : पुं० [सं० लिपि√कृ+अण्] लिखनेवाला। लेखक। लिपिक।
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लिपि-काल  : पुं० [सं० ष० त०] किसी ग्रंथ या लेख का वह समय (सन् या संवत्) जब कि वह लिखा गया हो
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लिपि-फलक  : पुं० [सं० ष० त०] काठ, धातु, पत्थर आदि का वह टुकड़ा या फलक जिस पर कोई लिपि या लेख अंकित किया गया हो।
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लिपि-बद्ध  : भू० कृ० [सं० तृ० त०] [भाव० लिपिबद्धता] १. लिपि या लेख के रूप में लाया हुआ। लिखित। २. (कथन या बात) जिसकी लिखा-पढ़ी हो चुकी हो।
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