शब्द का अर्थ
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विवर्त :
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पुं० [सं०] १. घूमना। मुड़ना। २. लुढ़कना। ३. नाचना। ४. एक रूप या स्थिति छोड़कर दूसरे रूप या स्थिति में आना या होना। ५. वेदान्त का यह मत या सिद्धान्त कि सारी सृष्टि वास्तव में असत् या मिथ्या है, और उसका जो रूप हमें दिखाई देता है, वह भ्रम या माया के कारण ही है। ६. लोक व्यवहार में किसी वस्तु का कुछ विशिष्ट अवस्थाओं में या किसी कारण से मूल से भिन्न होना। जैसे—रस्सी का साँप प्रतीत होना या ब्रह्म का जगत् प्रतीत होना। ७. ढेर। राशि। ८. आकाश। ९. धोखा। भ्रम। |
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विवर्तक :
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वि० [सं०] विवर्तन करनेवाला। चक्कर लगानेवाला। |
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विवर्तन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० विवर्तित] १. किसी के चारों ओर घूमना। चक्कर लगाना। २. किसी ओर ढलकना या लुढ़कना। ३. भिन्न भिन्न अवस्थाओं में से होते हुए या उन्हें पार करते हुए आगे बढ़ना। विकसित होना। विकास। ४. नाचना। नृत्य। ५. अरविन्द दर्शन में, चेतना या क्रमशः उन्नत तथा जाग्रत होकर विश्व की सृष्टि और विकास करना। ‘निवर्तन’ का विपर्याय (इवोल्यूशन)। |
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विवर्तवाद :
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पुं० [सं०] दार्शनिक क्षेत्र में, यह सिद्धान्त कि ब्रह्म ही सत्य है और यह जगत् उसके विवर्त या भ्रम के कारण कल्पित रूप है। |
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विवर्तवादी :
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वि० [सं०] विवर्तवाद-सम्बन्धी। पुं० वह जो विवर्तवाद का अनुयायी हो। |
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विवर्तित :
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भू० कृ० [सं० वि√वृत्त (उपस्थित रहना)+क्त] १. जिसकी विवर्तन हुआ हो या जो विवर्त के रूप में लाया गया हो। २. बदला हुआ। परिवर्तित। ३. घूमता या चक्कर खाता हुआ। ४. नाचता हुआ। ५. (अंग) जो मुड़क या मुड़ गया हो। ६. (अंग) जिसमें मोच आ गई हो। |
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विवर्ती (र्तिन्) :
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वि० [सं० वि√वृत्त (उपस्थित रहना)+णिनि]=विवर्तक। |
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