शब्द का अर्थ
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शत्रुंजय :
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पुं० [सं० शत्रु√जि (जीतना)+खच्-मुम्] १. काठियावाड़ में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत। विमलाद्रि। २. परमेश्वर। वि० शत्रु को जीतनेवाला। |
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शत्रु :
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पुं० [सं०] १. दो पक्षों में से हर एक जिनमें एक दूसरे के प्रति दुर्भावना हो। २. वह जो अपना अथवा दूसरे का घोर अहित चाहता हो। ३. वह जो किसी के नाश के लिए उतारू हो। |
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शत्रुधारी :
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पुं० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+णिनि-कुत्व=घ, शत्रु-घातिन] शत्रुघ्न के पुत्र का नाम। वि० शत्रु का नाश करनेवाला। |
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शत्रुघ्न :
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पुं० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+क] सुमित्रा के गर्भ से उत्पन्न राजा दशरथ के चतुर्थ पुत्र। वि० शत्रुओं को मार डालनेवाला। |
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शत्रुघ्नी :
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स्त्री० [सं० शत्रुघ्न+ङीष्] हथियार। |
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शत्रुजित :
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वि० [सं० शत्रु√जि (जीतना)+क्विप्, तुक्] शत्रु को जीतनेवाला। पुं० शिव। |
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शत्रुता :
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स्त्री० [सं० शत्रु+तल्+टाप्] द्वेष भाव से उत्पन्न वह मनोभावना जिससे किसी को कष्ट या हानि पहुँचाने की प्रवृत्ति होती है। विशेष-वैर और शत्रुता में मुख्य अंतर यह है कि वैर का स्वरूप अपेक्षया अधिक उग्र या तीव्र होता है और सदा जाग्रत रहता है। वैर जातिगत या स्वाभाविक भी हो सकता है,पर शत्रुता में ये बातें या तो होती ही नहीं या कम होती हैं। नेवले और साँपों में वैर ही होता है शत्रुता नहीं। इसके विपरीत हम किसी अवसर पर अज्ञान या मूर्खतावश अपने साथ शत्रुता तो कर सकते हैं परन्तु वैर नहीं कर सकते। |
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शत्रुताई :
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स्त्री०=शत्रुता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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शत्रुत्व :
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पुं० [सं० शत्रु+त्व] शत्रुता। दुश्मनी। |
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शत्रुदमन :
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वि० [सं० शत्रु√गम् (दमन करना)+ल्युट-अन] शत्रुओं का दमन या नाश करने-वाला। पुं० दशरथ के पुत्र शत्रुघ्न। |
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शत्रुमर्द्दन :
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पुं० [सं० शत्रु√मृद् (मर्दन करना)+ल्यु-अन] शत्रुघ्न का एक नाम। वि० शत्रुओं का मर्दन करनेवाला। |
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शत्रुसाल :
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वि० [सं० शत्रु+हिं० सालना] शत्रु के हृदय में शूल अर्थात् कष्ट और भय उत्पन्न करनेवाला। |
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शत्रुहंसा (तृ) :
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वि० [सं० ष० त०] शत्रु का नाश करनेवाला। |
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शत्रुहा :
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वि० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+क्विप्, दीर्घ, न-लोप] शत्रु का नाश करनेवाला। पुं० शत्रुघ्न। |
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