शब्द का अर्थ
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शै :
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स्त्री० [अं०] १. वस्तु। पदार्थ। चीज। २. भूत-प्रेत। स्त्री० दे० ‘शह’। (उत्तेजना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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शैक्य :
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पुं० [सं० शैक+यत्] सिकहर। छीका। |
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शैक्ष :
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पुं० [सं० शिक्षा+अण्] आचार्य के पास रहकर शिक्षा प्राप्त करनेवाला शिष्य। |
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शैक्षणिक :
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स्त्री० [सं० शिक्षण+ठक्—इक] १. शिक्षण या शिक्षा संबंधी (एजुकेशन) २. शिक्षा-प्रद। ३. शास्त्रीय ज्ञान अथवा उसके शिक्षण से संबंध रखनेवाला। शास्त्रीय। (एकेडेमिक)। |
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शैक्षिक :
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वि० [सं० शिक्षा+ठक्—इक] शिक्षा संबंधी। शिक्षा का (एजुकेशनल) पुं० १. वह जो शिक्षा (वेदांग) का ज्ञाता या पंडित हो। २. वह जो आधुनिक शिक्षा-विज्ञान का पंडित हो (एजुकेशनिष्ट)। |
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शैख :
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पुं० [सं०] नीच तथा पतित ब्राह्मण की संतान (स्मृति)। |
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शैखरिक :
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पुं० [सं० शिखर+ठक्—इक] अपामार्ग। चिचड़ा। लटजीरा। |
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शैघ्रय :
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पुं० [सं० शीघ्र+अण्] शीघ्रता। तेजी। |
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शैतान :
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पुं० [अ०] १. ईश्वर के सन्मार्ग का विरोध करनेवाली शक्ति जो कुछ सामी धर्मों (यथा इस्लामी, धर्म ईसाई आदि) में एक दुष्ट देवता और पतित देवदूतों के अधिनायक के रूप में मानी गई है। यह भी माना जाता है कि यही मनुष्यों को बहलाकर कुमार्ग में लगाता और ईश्वर तथा धर्म से विमुख करता है। पद—शैतान का बच्चा=बहुत दुष्ट आदमी। शैतान की आंत=बहुत लम्बी चौड़ी चीज या बात (व्यंग्य) शैतान की खाला=बहुत दुष्ट या पाजी औरत (गाली)। शैतान के कान हरे=ईश्वर करे कि शैतान यह शुभ बात न सुन सके और इसमें बाधक न हो। (मंगलाकांक्षा का सूचक)। २. दुष्टदेव योनि। भूत-प्रेत आदि। मुहावरा— (सिर पर) शैतान चढ़ना या लगना=भूत-प्रेत आदि का आवेश होना। प्रेत का भाव पड़ना। ३. बहुत बड़ा अत्याचारी या दुष्ट व्यक्ति। ४. दुर्वृत्ति, प्रबल, काम-वासना क्रोध आदि। मुहावरा-शैतान सवार होना=दुर्वृत्तियों का बहुत प्रबल होना। लड़ाई-झगड़ा या उपद्रव। मुहावरा—शैतान उठाना या मचाना=झगड़ा खड़ा करना। उपद्रव मचाना। |
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शैतानी :
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वि० [अ० शैतान] १. शैतान संबंधी। शैतान का। जैसे—शैतानी गोल। शैतानियों की तरह का बहुत दुष्ट। स्त्री० १. दुष्टता। पाजीपन। शरारत। २. ऐसा आचरण जो किसी को परेशान करने के लिए किया जाय। |
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शैत्य :
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पुं० [सं० शीत+ष्यञ्] शीतलता। ठंढक। |
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शैथिल्य :
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पुं० [सं० शिथिल+ष्यञ्] १. शिथिल होने की अवस्था या भाव। शिथिलता। २. तत्परता का अभाव। सुस्ती। |
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शैदा :
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वि० [फा०] जो किसी के प्रेम में मुग्ध हो। प्रेम से पागल। |
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शैन्य :
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पुं० [सं० शिनि+यज्] शिनि का वंश। |
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शैल :
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वि० [सं०√शिला+अण्] १. शिला संबंधी। पत्थर का। २. जिसमें पत्थर के टुकड़े मिले हों। पथरीला। ३. कड़ा। कठोर। सख्त। पुं० १. पर्वत। पहाड़। २. चट्टान। ३. छरीला नामक वनस्पति। शैलेय। ४. रसौत। ५. शिलाजीत। ६. लिसोड़ा। |
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शैलक :
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पुं० [सं० सैल+कन्] छरीला। शैलेय। |
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शैलकटक :
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पुं० [सं० ष० त०] पहाड की ढाल। |
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शैल-कन्या :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०] हिमालय पर्वत की पुत्री पार्वती। |
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शैलकुमारी :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०]=शैलकन्या (पार्वती। |
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शैल-गंगा :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०] गोवर्द्धन पर्वत की एक नदी जिसमें श्री कृष्ण ने सब तीर्थों का आवाहन किया था। |
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शैल-गंध :
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पुं० [सं० ब० स०] शबर चंदन। बर्बर चंदन। |
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शैलगृह :
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पुं० [सं० सप्त० त०] पहाड़ या चट्टान में खोदकर बनाया हुआ प्रसाद या मन्दिर। |
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शैलज :
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पुं० [सं० शैल√जन् (उत्पन्न करना)+ड] पत्थर। फूल छरीला। वि० [स्त्री० शैलजा] पर्वत से उत्पन्न। |
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शैलजा :
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स्त्री० [सं० शैलज-टाप्] १. पार्वती। २. गज पिप्पली। ३. दुर्गा। ४. सैंहली। |
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शैलजात :
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पुं०=शैलेय। |
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शैल-तटी :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०] पहाड की तराई। |
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शैल-धन्वा (न्वन्) :
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पुं० [सं० ब० स०] महादेव। शिव। |
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शैलधर :
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पुं० [सं० ष० त० स०] गोवर्धन पर्वत धारण करनेवाले श्रीकृष्ण। |
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शैलनंदिनी :
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स्त्री० [सं०] पार्वती। |
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शैलनिर्यास :
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पुं० [सं०] शिलाजीत। |
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शैलपति :
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पुं० [सं० ष० त० स०] हिमालय पर्वत। |
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शैलपत्र :
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पुं० [सं० ष० त० स०] बेल का पेड़ और फूल। |
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शैलपुत्री :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०] १. पार्वती। २. नौ दुर्गाओं में से एक। ३. गंगा नदी। |
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शैल-पुष्प :
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पुं० [सं० ष० त० स०] शिलाजीत। शिलाजतु। |
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शैलबीज :
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पुं० [सं० ष० त०] भिलावाँ। |
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शैलभेद :
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पुं० [सं० ष० त० स०] पखान-भेदी (पौधा)। |
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शैलमंडप :
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पुं० [सं० स० त०]=शैल-गृह। |
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शैलरंध्र :
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पुं० [सं० ष० त०] गुफा। |
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शैलराज :
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पुं० [सं० ष० त०] हिमालय पर्वत। |
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शैलशिविर :
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पुं० [सं० ष० त० ब० स० वा] समुद्र। सागर। |
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शैल-संभव :
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पुं० [सं० ब० स०] शिलाजीत। |
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शैल-सुता :
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स्त्री० [सं० ष० त० स०] १. पार्वती। २. दुर्गा। ३. गंगा नदी। |
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शैलाग्र :
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पुं० [सं० ष० त० स०] पर्वत का शिखर। |
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शैलाट :
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पुं० [सं० शैल√अट् (चलना)+अच्] १. पहाड़ी। आदमी। परबतिया। २. बिल्लौर। स्फटिक। ३. शेर। सिंह। |
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शैलाधिप, शैलाधिराज :
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पुं० [सं० ष० त०] हिमालय। |
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शैलाभ :
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पुं० [सं० ब० स०] विश्वदेवों में से एक। |
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शैलाली :
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पुं० [सं० शिलालि+णिनि-दीर्घ-नलोप] नट। |
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शैलिक :
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पुं० [सं० शिला+ठक्-इक] शिलाजीत। |
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शैली :
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स्त्री० [सं० शैल-ङीष्] १. ढंग। तरीका। २. साहित्य में बोल या लिखकर विचार प्रकट करने का वह विशिष्ट ढंग जिस पर वक्ता या उसके काल, समाज आदि की छाप लगी होती है। जैसे—भारतेन्दु की शैली, द्विवेदीयुगीन शैली। ३. कोई काम करने अथवा कोई चीज निर्मित प्रस्तुत या प्रदर्शित करने का कलापूर्ण ढंग। जैसे—चित्रकला की पहाड़ी शैली, मुगल शैली, राजस्थानी शैली आदि। ४. कठोरता। सख्ती। |
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शैलीकार :
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पुं० [सं० शैली√कृ+अण्] वह जिसने कला, काव्य साहित्य आदि के किसी क्षेत्र में किसी नई और विशिष्ट शैली का प्रवचन किया हो। |
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शैलू :
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पुं० [देश] लिसोड़ा। स्त्री० गुजरात और दक्षिण भारत में बननेवाली एक प्रकार की चटाई। |
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शैलूक :
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पुं० [सं० शैल+ऊकञ्] १. लिसोड़ा। २. भसींड़। |
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शैलूष :
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पुं० [सं० शिलूष+अण्] १. अभिनय करनेवाला व्यक्ति। अभिनेता। नट। २. गंधर्वों का नेता। ३. बेल का पेड़। वि० धूर्त। |
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शैलूषिक :
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पुं० [सं० शिलूष+ठक्-इक] [स्त्री० शैलूषिकी] अभिनेता। वि० पुं०=शैलूष। |
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शैलेंद्र :
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पुं० [सं० नित्य० स०] हिमालय पर्वत। |
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शैलेय :
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वि० [सं० शिला+ढक्—एय] १. जिसमें पत्थर हो। पथरीला। २. पहाड़ का। पहाड़ी। ३. जो पत्थर से उत्पन्न हो। पुं० १. शिलाजीत। २. छरीला। ३. मूसलीकंद। ४. सेंधा नमक। ५. सिंह। ६. भौंरा। |
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शैलेयी :
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स्त्री० [सं० शैलेय-ङीष्] पार्वती। |
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शैलेश्वर :
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पुं० [सं० ष० त० स०] शिव। महादेव। |
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शैलोदा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] उत्तर दिशा की एक प्राचीन नदी। |
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शैल्य :
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वि० [सं० शिला+ष्यञ्] १. पत्थर का। २. पथरीला। ३. पहाड़ी। ४. कठोर। सख्त। |
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शैव :
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वि० [सं० शिव+अण्] १. शिव संबंधी। शिव का। जैसे—शैव दर्शन। २. शैव संप्रदाय का अनुयायी। पुं० १. शिव का उपासक या भक्त। २. हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध संप्रदाय (वैष्णव से भिन्न) जो शिव का उपासक है। ३. पाशुपत अस्त्र। ४. धतूरा। ५. अडूसा। ६. जैनों के अनुसार पांचवें कृष्ण या वासुदेव का एक नाम। |
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शैवपत्र :
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पुं० [सं० ब० स०] बिल्व वृक्ष, जिसकी पत्तियाँ शिव पर चढ़ती है। बेल। |
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शैव पुराण :
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पुं० [सं० कर्म० स०] शिव पुराण। |
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शैवल :
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पुं० [सं०√शी (शयन करना)+वलञ्] १. पद्य काष्ठ। पदमकाठ। २. सेवार। ३. एक प्राचीन पर्वत। |
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शैवलिनी :
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स्त्री० [सं० शैवल+इनि-ङीष्] नदी। |
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शैवागम :
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पुं० [सं०] शैवमत के प्रतिपादक धर्म ग्रन्थ जो प्रायः ई० सातवीं शती से पहले बने थे। |
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शैवाल :
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पुं० [सं०√शि (शयन करना)+वालञ्] सेवार। |
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शैवी :
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स्त्री० [शैव-ङीष्०] १. पार्वती। २. मनसा देवी। ३. कल्याण। मंगल। |
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शैव्य :
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वि० [सं० शिव+त्र्य] शिव संबंधी। शिव का। पुं० १. कृष्ण के एक घोड़े का नाम। २. पाण्डवों की सेना का एक यूथप। |
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शैव्या :
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स्त्री० [सं० शैव्य-टाप्] अयोध्या के सत्यव्रती राजा हरिशचन्द्र की रानी (चंद कौशिक)। |
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शैशव :
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वि० [सं० शिशु+अण्] १. शिशु संबंधी। बच्चों का। २. शिशु या छोटे बच्चों की अवस्था से सम्बन्ध रखनेवाला। पुं० १. शिशु होने की अवस्था या भाव। २. १६ वर्ष की कम अवस्था। बचपन। ३. लड़कपन। |
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शैशविक :
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वि० [सं० शैशव+ठक्-इक] शैशव-संबंधी। शैशव का। |
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शैशविकी :
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स्त्री० [सं०] आधुनिक चिकित्सा-प्रणाली की वह शाखा जिसमें शिशुओं के लालन-पालन लक्षण आदि के प्रकारों एवं सिद्धान्तों का विवेचन होता है। (पेडियाट्रिक्स) |
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शैशिर :
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वि० [सं० शिशिर+अण्] १. शिशिर संबंधी। शिशिर काल या ऋतु का। २. शिशिर ऋतु में होनेवाला। पुं० १. ऋग्वेद की एक शाखा के प्रवर्तक एक ऋषि। २. चातक। |
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समानार्थी शब्द-
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शैषिक :
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वि० [सं० शेष+ठञ्-इक] शेष या अन्तिम भाग से संबंध रखनेवाला। शेष का। |
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समानार्थी शब्द-
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