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जीवनी/आत्मकथा >> अरस्तू

अरस्तू

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :69
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10541
आईएसबीएन :9781610000000

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सरल शब्दों में महान दार्शनिक की संक्षिप्त जीवनी- मात्र 12 हजार शब्दों में…


शताब्दियों बाद अंग्रेज कवि जॉन ड्राइडेन ने अरस्तू की प्रशंसा की उमंग में लिखा- ‘‘उन्होंने अपनी टार्च को विश्व का प्रकाश बना दिया।’’

अरस्तू वास्तव में प्रकाश लाने वाले थे इसी कारण आगामी काल के विद्वानों ने उसे मान्यता दी। उनके द्वारा लिखे नीतिशास्त्र, आधिभौतिकी, काव्यशास्त्र, राजनीति, वाग्मिता पढ़ाए ही नहीं जाते उन पर नया प्रकाश भी डाला जाता है।

अच्छा हो, युगों पर पड़े अरस्तू के गहन प्रभाव को हम देखें। अगर हम सूक्ष्मता से विचार करें तो पाएंगे कि हमारी सभ्यता उन कार्यों से बनी है जिनसे अरस्तू का नाम अमर हो गया। उनकी दार्शनिक पद्धति उन तमाम शास्त्रीय पद्धतियों के निर्माण का आधार बनीं जो मध्यकाल की कीर्ति थी और जो आज भी हजारों प्रतिद्वन्द्वी दर्शन के बीच विराजमान हैं। ईसाई चर्चों के महान बुद्धिवादियों ने अपने धार्मिक तंत्र में इस महान मस्तिष्क के महान विचारों का मिश्रण कर लिया है।

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