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जीवनी/आत्मकथा >> हेरादोतस

हेरादोतस

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :39
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10542
आईएसबीएन :9781610000000

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रचनाओं का ‘प्रकाशन’

लगभग ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व मुद्रण कला का नामोनिशान नहीं था, फिर कैसे कहा जा सकता है कि हेरेाडोटस ने अपनी रचना ‘प्रकाशित’ की। ‘प्रकाशन’ से तात्पर्य था श्रोताओं के सामने रचना, लिखित पुस्तक या उसके विषेष अध्याय या अध्यायों का वाचन। हेरादोतस के समय में यह पारंपरिक था कि लोकप्रिय त्योहारों पर, सार्वजनिक आयोजनों पर लेखक अपनी रचना का वाचन कर उसे ‘प्रकाशित’ करें। जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है हेरादोतस तो एथेंसवासियों को रोज ही अपनी रचनाएं पढ़कर सुनाया करता था। लूसियन के अनुसार हेरादोतस अपनी रचनाएं लेकर लघु एशिया (तुर्की) से ओलम्पिक खेलों तक पहुंचा और एक बैठक में उपस्थित दर्शकों के सामने पूरी इस्तोरिया का वाचन कर डाला। इस हेतु उसे प्रभूत प्रशंसा मिली। ओलम्पिया में वाचन करना हेरादोतस को अत्यधिक प्रिय था। सूदा, फोटियर तथा अन्य सूत्रों से एक बड़ी रोचक सूचना मिलती है। हेरादोतस एक श्रोता समूह को अपनी रचनाएं सुना रहा था कि अपने पिता के साथ उसे सुनने आया किशोर थ्यूसीडाइडीज सुनते-सुनते दहाड़ मार कर रो पड़ा। हेरादोतस ने भविष्यवाणी करते हुए उसके पिता से कहा, ‘‘आपके पुत्र की आत्मा ज्ञान के लिए लालायित है।’’

थ्यूसीडाइडीज (460-396 ई.पू.) के जीवनी लेखक मर्सीलिनस बताते हैं कि हेरादोतस को एथेंस में ही दफनाया गया था और थ्यूसीडाइडीज को उसकी इच्छा के अनुसार मृत्यु के बाद उसी समाधि में दफनाया गया। कहना न होगा कि दोनों में गहरी मित्रता थी। थ्यूसीडाइडीज महान इतिहासकार था। उसका उद्देश्य प्रत्येक घटना के कारण, विकास और परिणाम को प्रस्तुत करना था। परिणाम को वह भाग्य और दैवी कारणों से नहीं बल्कि ऐतिहासिक कारणों से जोड़ता था। हेरादोतस ने विभिन्न मानव समुदायों की संस्कृति पर भी लिखा किंतु थ्यूसीडाइडीज केवल राजनीतिक और समाजिक घटनाओं के वर्णन से संतुष्ट था। दोनों इतिहासकारों को इतिहास लिखने में अपने निर्वासन का लाभ मिला। आधुनिक युग के मानदंड से भी थ्यूसीडाइडीज एक वैज्ञानिक इतिहासकार माना जाएगा।

प्रो. गिलवर्ट मरे लिखता है- ‘‘इतिहास का पिता, हेरादोतस, अपने नगर राज्य से एक निष्कासित व्यक्ति था। वह आशु वाचक नहीं था वरन् उसका गद्य एक चारण की तरह परस्पर संबद्ध रहता था। वह मानवों के कार्यों का प्रवक्ता था; विदेशी स्थानों के विवरण देता था। उनका व्यवसाय ऐसा था, जैसा कि थ्यूसीडाइडीज कहता था, जिसमें यदि मनोरंजन हो तो सफलता मिलती है, सबसे अधिक तब, जब किसी सत्य का शोधन हो। वाचन की प्रथम आवश्यकता थी कि वह श्रोताओं को रुचिकर लगे। हेरादोतस में यह विशेषता दिखाई दी जब भी उसने अपने होठ खोले।’’

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