जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप कवि प्रदीपसुधीर निगम
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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।
कबीर को साधो नामक किसी व्यक्ति ने श्रोता के रूप में अपनी सेवाएं इसी शर्त पर दी थीं कि कबीर उसका नाम अपनी रचनाओं में डालेंगे। कबीर ने वचन निभाया। ´कहत कबीर सुनौ भई साधो´ जैसी टेक कबीर साहित्य की पहचान बन गई हैं।
राजा, महाराजा तो श्रोताओं को अपनी बपौती समझते थे। रोम के सम्राट नीरो को श्रोताओं के सम्मुख अपनी तथाकथित संगीत प्रतिभा के प्रदर्शन का बड़ा शौक था। उसने नेपल्स के थियेटर में अपना पहला प्रदर्शन किया। संयोग से उसी समय हल्का भूकंप आया और कुछ श्रोता थियेटर छोड़कर भाग गए लेकिन शेष श्रोताओं के लिए नीरो का गायन चलता रहा। नीरो को यह बात बुरी लगी कि उसके श्रोता बीच में उठकर चले गए थे। अगले प्रदर्शन में नीरों ने थियेटर के दरवाजे बंद करवा दिए ताकि प्रतिबद्ध श्रोताओं में से कोई श्रोता बाहर न जा पाए। कहा जाता है कि थियेटर में ही कुछ महिला श्रोताओं के बच्चे पैदा हो गए यानी कि कुछ श्रोता और बढ़ गए। सुनने और तालियां बजाने से उकता चुके लोगों ने दीवार फांदकर भागने की कोशिश की परंतु वे पकड़ लिए गए और फिर श्रोता-समूह में बिठला दिए गए। तीन चालाक श्रोताओं में से एक ने मुर्दे का स्वांग भरकर पहरेदारों को धोखा देने में सफलता प्राप्त की तथा शेष दो उसे उठाकर थियेटर के बाहर निकल गए।
अकबर ने अपने दरबार में नौ ऐसे स्थाई मुसाहिब रखे हुए थे जिन्हें वह जब चाहे श्रोता के रूप में इस्तेमाल कर सकता था। वे कहीं भाग न जाएं या रात-बिरात आने से मना न कर दें अतः उन्हें ´नवरत्न´ की पदवी से विभूषित कर अंतरंग शाही श्रोता होने की मोहर लगा दी गयी थी।
औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को बंदी बनाकर कारागार में डालने के बाद उससे पूछा कि करने के लिए उसे क्या काम चाहिए! शाहजहां ने कहा कि वह बच्चों को पढ़ाना चाहता है। औरंगजेब समझ गया कि उसके बाप को मूक श्रोताओं की दरकार है। एक समय था जब विद्यार्थी मूक श्रोता हुआ करते थे। आजकल तो विद्यार्थी मुखर हो गए हैं और अध्यापक श्रोता।
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