लोगों की राय

लेख-निबंध >> लेख-आलेख

लेख-आलेख

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781610000000

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय


एक विशेष जाति की लाखों चीटियां एक देश के रूप में रहती हैं। उनमें एक रानी होती है जिसके अधीन विभिन्न अधिकारी काम करते हैं। रानी का महल तीन फुट तक ऊंचा होता है यानी उसकी औसत लंबाई से नब्बे गुना ऊंचा। हर जाति की अलग रानी होती है, अलग सेना होती है। वे आदिम इन्सानी कबीलों की तरह एक दूसरे पर हमला करती हैं। विजयी चींटियां पराजित चीटिंयों को उनके आवास से खदेड़ देती हैं और न सिर्फ उनकी भूमि पर कब्जा कर लेती हैं उनके अंडों पर भी अधिकार कर लेती हैं। ये अंडे युद्ध-बंदी जैसे होते हैं। उनकी देखभाल तो की जाती है पर जब बच्चे निकलते हैं तो उन्हें गुलाम बना लिया जाता है और उन्हें गुलामों के लिए निर्धारित काम करने पड़ते हैं। चींटी समाज में भी औद्योगिक क्रांति हुई थी, वह भी हमारी क्रांति से कई सदियों पहले।

मानव द्वारा खेती किए जाने का इतिहास सिर्फ पंद्रह हजार वर्ष पुराना है। परंतु चींटियां कृषि-कार्य करीब पांच करोड़ वर्ष से करती चली आ रही हैं। चींटियों को संसार का पहला कृषक होने का गौरव प्राप्त है। कृषि-कार्य गुलाम चींटियों द्वारा किया जाता है। वे, हमारी तरह, गेहूँ या धान की खेती नहीं करतीं वरन फफूंद की खेती करती हैं। चींटियों द्वारा की जाने वाली खेती की कला में वे सारी विशिष्टताएं मौजूद होती हैं जो इंसान की खेती में होती हैं। चींटियां हमारे लिए, केंचुए से बेहतर तरीके से, मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाती हैं। वे मैदानों में एंटी बायोटिक बैक्टीरिया का उत्पादन करती हैं। इससे फसल खराब नहीं होती है। दक्षिण अफ्रीका में ´बरसाती जंगलों´ की चींटियां वहां की वार्षिक पैदावार के पांचवें हिस्से को उपजाऊ बनाने में योगदान देती हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book