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जीवनी/आत्मकथा >> शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :79
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10546
आईएसबीएन :9781610000000

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अपनी वीरता, अदम्य साहस के बल पर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा जमाने वाले इस राष्ट्रीय चरित्र की कहानी, पढ़िए-शब्द संख्या 12 हजार...


इस प्रकार शेरशाह नाम का महान सैनिक व राजनीतिज्ञ अपने उपयोगी, क्रियाशील तथा विजयी जीवन के मध्य साढ़े पांच साल सुल्तान रहकर चला गया जिसके दिल में पीड़ित हिंदुओं के लिए सहिष्णुता, न्याय तथा राजनीतिक अधिकारों की समानता का उषाकाल प्रारंभ हुआ था जो अकबर-काल में दैदीप्यमान मध्याह्न बनकर फैल गया।

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शाह के उत्तर-शाह


शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही अपने बड़े बेटे आदिल खान को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था। परंतु शेरशाह की मृत्यु के बाद अमीरों ने उसके छोटे बेटे जलाल खान को सुल्तान निर्वाचित कर लिया। 25 मई 1545 को वह इस्लामशाह के नाम से गद्दी पर बैठा। इसके बाद तो उत्तराधिकारी आपस में लड़ते रहे और अंततः राज्य हुमाऊं ने छीन लिया और अफगान वंश का अंत कर दिया।

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