मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
1 संज्ञा पदबंध
संज्ञा पदबंध में शीर्ष में संज्ञा पद होता है। अन्य सभी पद उस पर आश्रित
हैं। इसकी प्रमुख रचना रीतियाँ हैं:
(क) विशेषण: (गुणवाची विशेषण) सभ्य पुरुष; सुंदर फूल;
(संख्यावाची) तीन मकान, चार घोड़े; (परिमाणवाची) दो किलो आटा, एक लिटर दूध;
(सर्वनामिक) ये किताबें, कोई महिला; (कृदंती) बहता हुआ पानी, थका मजदूर;
(संबंधवाची) मोहन की किताब, मेरा घर, अपना बस्ता; (कर्तृच्वाची) दौड़ में भाग
लेने वाले खिलाड़ी, बंगलूर जाने वाली गाड़ी (तुलनावाची विशेषण) युधिष्ठिर-सा
सत्यवादी।
(ख) उपाधिसूचक: नाम के पहले श्री श्रीमान् आदि, नाम के बाद जी
महाराज आदि।
(ग) समानाधिकरण सूचक : दशरथ पुत्र राम, गंगा नदी आदि।
मैं बेचारा क्या कर सकता हूँ, में पदबंध के शीर्ष में सर्वनाम मैं है, किंतु
सर्वनाम स्वयं संज्ञा के स्थान पर ही आता है। अतः संज्ञा पदबंध के भीतर ही यह
उदाहरण रख दिया गया है।
2 विशेषण पदबंध
विशेषण पदबंध के शीर्श में विशेषण होता है, अन्य पद उस पर (विशेषण पर) आश्रित
होते हैं। इसमें प्रमुखतया प्रविशेषण लगता है:
(क) प्रविशेषण: बहुत सुंदर, थोड़ा नमकीन, ज्यादा मीठा, कुछ
फीका-फीका, जरा खट्टा-खट्टा; लगभग हजार, कोई एक लाख, ठीक दस।
(ख) तुलनात्मक/सादृश्यात्मक: सिंह जैसा बलवान व्यक्ति। हीरे से भी
अधिक कठोर।
3 क्रिया पदबंध
क्रिया पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है। अन्य पद क्रिया पर आश्रित होते
हैं। इसके दो प्रमुख भेद हैं:
(क) क्रिया विशेषणात्मक क्रिया पदबंध: यहाँ क्रिया पर
क्रियाविशेषणात्मक पद या पदबंध आश्रित होता है जैसे, धीरे-धीरे चल
रहा है, तेजी से दौड़ रहा है। सुबह-सुबह खेलता है। मैदान
में दौड़ रहा है।
(ख) अंतः केंद्रित क्रिया पदबंध: यहाँ भी मुख्य क्रिया पर अन्य
सहायक, संयोजी और रंजक क्रियाएँ आश्रित होती हैं। जैसे, मोहन किताब पढ़ रहा
है, में क्रिया पदबंध पढ़ रहा है। इस क्रियापदबंध का शीर्ष शब्द पढ़ है।
पढ़ <--रहा <--है।
अंतः केंद्रित क्रिया पदबंध में समापिका क्रिया के साथ नकारात्मक या
अवधारणात्मक निपात भी आ सकते हैं – जैसे, गिर ही पड़ा, गिर न जाए, पढ़ा भी
नहीं जाता
4 क्रियाविशेषण पदबंध
क्रियाविशेषण पदबंध में क्रियाविशेषण शीर्ष स्थान पर होता है और अन्य पद उस
पर आश्रित होता है। जैसे बहुत धीरे-धीरे उठा, में बहुत धीरे-धीरे
क्रियाविशेषण पदबंध है। यहाँ धीरे-धीरे क्रिया विशेषण है और बहुत उसका
प्रविशेषण।
बहुत --> धीरे-धीरे
<-- उठा।
टिप्पणी
यहाँ ध्यान रखें कि कमरे में या कमरे के अन्दर पदबंध नहीं है। संज्ञा आदि को
पद बनने के लिए परसर्ग में से आदि लगाना होता है या संबंधबोधक अव्यय के भीतर/
के ऊपर/ के बिना आदि लगाना होता है।
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