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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
संयुक्य तथा मिश्र वाक्य
जब एक से अधिक सरल वाक्य (उपवाक्य) किसी वाक्य में होते हैं, तब दो ही
स्थितियाँ हो सकती हैं – या तो दोनों समान स्तर के हैं (अर्थात्) कोई किसी पर
आश्रित नहीं है, या एक प्रधान है और दूसरा उसका आश्रित। उदाहरणार्थ – शाम
को मोहन आएगा और सोहन भी आएगा। वाक्य में शाम को मोहन का आना और शाम
को सोहन का आना समान स्वतंत्र स्तर के हैं और एक घटना दूसरे पर आश्रित या
निर्भर नहीं है, जबकि मैं उस मकान में रहता हूँ जिसमें कभी आचार्य जी
रहते थे। वाक्य में मेरे रहने के स्थान मकान के संबंध में ही दूसरा
उपवाक्य बता रहा है और इस प्रकार आश्रित है। प्रथम को संयुक्त वाक्य
और द्वितीय को मिश्र वाक्य कहते हैं।
संयुक्त वाक्य : संयुक्त वाक्य वह वाक्य है जिसके कई उपवाक्यों में
सभी समान स्तरीय होते हैं। अर्थात् उनके बीच समानाधिकरण संबंध होता है। इसके
उपवाक्य समानाधिकरण योजक अव्ययों से जुड़े होते हैं। उदाहरणार्थ:
हम लोग पुणे घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।
वह आई तो थी किंतु उसने कुछ कहा नहीं था।
सत्य बोलो परंतु कटु सत्य न बोलो।
चुपचाप बैठो या यहाँ से चले जाओ।
वे बीमार हैं, अतः आने में असमर्थ हैं।
मिश्र वाक्य : मिश्र वाक्य वह वाक्य है जिसमें एक उपवाक्य स्वतंत्र
(प्रधान) होता है और एक-या-एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं। मिश्र वाक्य
के उपवाक्य व्याधिकरण योजकों से जुड़े होते हैं।
आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
क संज्ञा उपवाक्य: मुख्य/प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा
पदबंध के बदले आने वाला उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य कहा जाता है।
उदाहरणार्थ –
रहीम बोला कि मैं कल कर्नाटक जा रहा हूँ।
(बोला क्रिया का कर्म)
जान पड़ता है कि माताजी कुछ अस्वस्थ हैं।
(जान पड़ता क्रिया का उद्देश्य)
इनसे यह न पूछिए कि ये कौन हैं।
(यह का पूरक)
मुझे विश्वास है कि आप अवश्य आएँगे।
(विश्वास का समानाधिकरण)
ख विशेषण उपवाक्य: मुख्य/प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम
शब्द की विशेषता बताने वाला उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहा जाता है।
उदाहरणार्थ –
आप की वह किताब कहाँ है, जो आप कल लाए थे।
वह घर कौन-सा है, जहाँ आपके पिता जी रहा करते थे।
तुम जैसा कलम अपने लिए लाए हो वैसा ही हमारे लिए खरीद
दो।
ग क्रियाविशेषण उपवाक्य: मुख्य/प्रधान उपवाक्य की क्रिया के संबंध
में किसी प्रकार की सूचना देने वाला उपवाक्य क्रियाविशेषण उपवाक्य कहा जाता
है। इसके पाँच भेद हैं :
1 कालवाची उपवाक्य
ज्योंही मैं स्टेशन पहुँचा, त्योंही गाड़ी ने सीटी बजाई।
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।
जब-जब मैंने बाहर जाने की तैयारी की, तब-तब घर में कोई-न-कोई बीमार पड़ गया।
2 स्थानवाची उपवाक्य
जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था।
जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।
जहाँ तुम्हारे भाई गए हैं, वहीं तुम भी जाओ।
3 रीतिवाची उपवाक्य
मैंने वैसे ही किया है जैसे आपने बताया था।
वह उसी प्रकार खेलता है जैसा उसके कोच सिखाते हैं।
4 परिमाणवाची उपवाक्य
जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
तुम जितना पढ़ोगे, उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।
5 परिणाम (कार्य-कारण) वाची उपवाक्य
वह आएगा जरूर क्योंकि उसका साक्षात्कार है।
यदि मैंने पढ़ा होता तो अवश्य उत्तीर्ण हो गया होता।
यद्यपि तुम मोटे ताजे हो तो भी मुझसे जीत नहीं पाओगे।
मैं आपके पास आ रहा हूँ ताकि कुछ योजना बन सके।
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