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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
परसर्ग ने
यह परसर्ग रूपावली वर्ग 6,8,10,12,14 व 16 के क्रियारूपों के साथ सकर्मक
क्रिया के कर्ता के साथ लगता है। इनमें सर्वत्र पूर्ण कृदन्ती रूप लगता है।
जैसे – ‘लड़के ने फल खाया’, ‘भाई ने पत्र भेजा है’, ‘माँ ने खाना बनाया’ आदि।
नहाना, छींकना, खाँसना आदि कुछ अकर्मक कुछ अकर्मक क्रिया के साथ भी
“ने” लगता है। (उसने छींक दिया ‘अब नहीं आऊँगा) और बोलना, भूलना, लाना
जैसी सकर्मक क्रियाओं के साथ नहीं लगता है। (मैं तुम्हारा पता नहीं भूला।)
सरसर्ग “को”
यह परसर्ग निश्चित कर्म के साथ आता है। जैसे – लड़के को बुलाओ, मोहन उस किताब
को बड़े ध्यान से पढ़ रहा है। कर्मपूरक वाले वाक्यों में भी कर्म
के बाद को अवश्य लगता है। इसके अन्य प्रयोग हैं:
1. संप्रदान (=लब्धा) के साथ: किताब मोहन को दे दो।
2. अनुभावक कर्ता के साथ: मुझ को भूख लगी है।
3. बाध्यता बोधी रचना में: मुझ को पढ़ना है/चाहिए/पड़ा।
4. लक्ष्य/अर्थ के साथ: वह लड़ने को आया है। वह कलकत्ते को
जा रहा है।
5. रुचि/अरुचि के साथ: हम को मिठाई बहुत पसंद है।
6. समयवाचक के साथ: रात को। शाम को आएगा।
7. अवधारणा में: काहे को लड़ रहे हो।
8. प्रेरणार्थी संरचना में वास्तविक कर्ता के साथ: माँ लड़के को
दूध पिलाती है।
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