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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक


3.    विसर्ग संधि

विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

3.1    (ः) विसर्ग का ओ- विसर्ग के पूर्व यदि “अ” और बाद में “अ” अथवा तीसरे चौथे पाँचवें वर्ण य्/र्/ल्/व हो तो ओ हो सकता है; जैसे -

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
अधः + गति = अधोगति
मनः + बल = मनोबल
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध

3.2    विसर्ग के पूर्व अ आ को छोड़कर कोई स्वर हो और परे कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण या य, र, ल, व, ह में से कोई तो विसर्ग का र/र् हो जाता है; जैसे –

निः + आहार = निराहार
निः + धन = निर्धन
दुः + जन = दुर्जन
आशीः + वाद = आशीर्वाद

3.3    3.3 विसर्ग से पूर्व कोई स्वर हो और बाद में च, छ या र हो तो विसर्ग का श हो जाता है; जैसे-

निः + चल = निश्चल
दुः + शासन = दुश्शासन

3.4    विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग का स् हो जाता है; जैसे-

नमः + ते = नमस्ते
निः + संतान = निस्संतान
दुः + साहस

3.5    (विसर्ग का ष्) विसर्ग के पूर्व इ/उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान पर ष हो जाता है; जैसे-

निः + कलंक = निष्कलंक
चतुः + पाद = चतुष्पाद
निः + फल = निष्फल

3.6    विसर्ग का लोप : विसर्ग से पूर्व अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर; जैसे-
अतः + एव = अतएव

3.7    विसर्ग के बाद में र हो तो विसर्ग लुप्त हो जाता है और स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे-

निः + रोग = नीरोग
निः + रस = नीरस

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