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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

अध्याय 5

शब्द और शब्द-भंडार

विचारों, भावों आदि की अभिव्यक्ति का सबसे प्रमुख साधन भाषा है। आप जब कभी कोई बातचीत करते हैं या लिखते-लिखाते हैं; तो किसी-न-किसी भाषा का सहारा लेते हैं। भाषाई अभिव्यक्ति के मूल में शब्द होते हैं, क्योंकि शब्द ही बातचीत या कथ्य में आने वाले व्यक्तियों, प्राणियों, वस्तुओं, गुणों, क्रियायों आदि को प्रकट करते हैं और वाक्य बनाते हैं। आपने स्वयं अनुभव किया होगा कि बात-चीत करते-करते या कोई लेख-निबंध आदि लिखते समय कभी-कभी आप अचानक रुक जाते है, क्योंकि विचार या कथ्य के लिए शब्द मिल नहीं पाया है या जो मिला है वह आपको बहुत उपयुक्त नहीं लगता है। इससे आप समझ सकते हैं कि शब्द का भाषा में कितना अधिक महत्व है।

किसी भाषा में प्रयुक्त हो रहे या हो सकने वाले सभी शब्दों के समूह को उस भाषा का शब्द-भंडार कहते हैं। किसी भाषा के समस्त शब्द-भंडार की गणना करना या सही-सही अनुमान लगाना संभव नहीं है। निरंतर प्रयोग में न आने के कारण कुछ शब्द हटते जाते हैं और सभ्यता के विकास के साथ नए-नए शब्द बढ़ते जाते हैं (जैसे, टी.वी., दूरदर्शन, किलो, लीटर, पोलीथिन, आकाशवाणी, वेब, इंटरनेट, नेटवर्क, मोबाइल आदि शब्द बढ़े हैं; रत्ती, तोला, छटाँक, सेर आदि शब्द शहरी व्यक्ति के लिए लुप्त प्राय हैं)।

इस अध्याय में हम शब्द और शब्दावली का वर्गीकरण निम्नलिखित दृष्टियों से करेंगे-

(1)    अर्थ की दृष्टि से
(2)    प्रयोग की दृष्टि से
(3)    इतिहास या स्रोत की दृष्टि से

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