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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

समास

अभी आपने देखा कि उपसर्गों और प्रत्ययों की सहायता से कैसे शब्दों की रचना होती है। यहाँ हम उससे भिन्न एक रचना-विधि पर प्रकाश डालेंगे जिसे समास रचना कहते हैं। समास में दो या अनेक शब्दों के मेल से एक नये शब्द की रचना होती है, जैसे —

गंगा + जल = गंगाजल,
घुड़ = घोड़ा + सवार — घुड़सवार,
पुस्तक + आलय – पुस्तकालय।

इस प्रकार समास वह शब्द रचना है, जिसमें दो (या दो से अधिक) अर्थ की दृष्टि से परस्पर स्वतंत्र संबंध रखने वाले, स्वतंत्र शब्द रचना के अंग होते हैं।

समास रचना में प्रायः दो पद (शब्द) होते हैं — पहले पद को पूर्वपद (जैसे — गंगा, घोड़ा, पुस्तक) और दूसरे को उत्तर पद (जैसे — जल, सवार, आलय) कहते हैं। समास रचना से बने शब्द को समस्त पद(जैसे — गंगाजल, घुड़सवार, पुस्तकालय) कहते हैं।

यदि समास रचना से बने शब्द (समस्त पद) के अंग पृथक्-पृथक् करने हों, तो उस प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं। जैसे यदि गंगाजल समस्त पद के अंग पृथक्-पृथक् (समास विग्रह) करें, तो दो पद निकलेंगे — गंगा और जल। समास विग्रह इस प्रकार लिखते हैं:

गंगाजल = गंगा + जल (गंगा का जल)
घुड़सवार = घुड़ (घोड़ा) + सवार (घोड़े पर सवार)
चंद्रमुख = चंद्र-सा मुख

समास के भेद


समास के चार प्रमुख भेद हैं:

(1) तत्पुरुष समास
(2) बहुब्रीहि समास
(3) द्वन्द्व समास
(4) अव्ययीभाव समास

कर्मधारय और द्विगु ये दो भेद भी प्रचलित हैं, यद्यपि ये तत्पुरुष के ही उपभेद हैं। नीचे इन छहों का संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है:

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