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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक


6. निजवाचक सर्वनाम

जो सर्वनाम निज के लिए अर्थात् स्वयं अपने लिए प्रयुक्त होता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसका संबंधवाची रूप अपना, अपनी, अपने है। उदाहरणार्थ — मैं अपनी किताब ले जा रहा हूँ। हम अपने देश के लिए सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हैं। आप का प्रयोग अपने आप स्वयं खुद के स्थान पर भी होता है — आप किसी को भेजिए नहीं, मैं आप (स्वयं/खुद) आ जाऊँगा।

सर्वनाम की रूप रचना

सर्वनाम के चार रूपावली वर्ग हैं:

रूपावली वर्ग — 1 : पुरुषवाचक मैं तुम
रूपावली वर्ग — 2 : निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक और संबंधवाचक
रूपावली वर्ग — 3 : अनिश्चयवाचक
रूपावली वर्ग — 4 : निजवाचक

रूपावली वर्ग - 1 : पुरुषवाचक


विभक्ति एकवचन बहुवचन
मूल मैं, तू हम, तुम
तिर्यक् (ने) मैं, तू - हम, तुम
तिर्यक् (से, में, पर) मुझ, तुझ हम, तुम
तिर्यक् (को) मुझ, मुझे, तुम, तुझे हम, हमें, तुम, तुम्हें
संंबंधवाची मेरा/मेरी/मेरे; तेरा/तेरी/तेरे हमारा/री/रे तुम्हारा/री/रे


रूपावली वर्ग - 2 : निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक और संबंधवाचक

विभक्ति एकवचन बहुवचन
मूल यह, वह कौन/क्या जो ये वे कौन/क्या जो
तिर्यक् (ने) इस - उस - किस - जिस इन्हों - उन्हों - किन्हों - जिन्हों
तिर्यक् (से, में, पर) इस - उस - किस - जिस - इसे - उसे - किसे - जिसे इन - उन - किन - जिन
संबंधवाची (का/की/ को) इस - उस - किस - जिस इन - उन - किन - जिन




रूपावली वर्ग - 3 : अनिश्चयवाचक

विभक्ति एकवचन बहुवचन
मूल कोई कोई
तिर्यक/संबंधवाची किसी किन्ही


रूपावली वर्ग - 4 - निजवाचक

विभक्ति एकवचन बहुवचन
मूल/तिर्यक्/संबंधवाची (अपने) आप (अपने) आप


नोट — कुछ का रूप सदा वही रहता है।

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