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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक


2. परिमाणवाचक विशेषण

परिमाण वाचक विशेषण वह विशेषण होता है, जो विशेष्य के परिमाण या मात्रा आदि से संबंद्ध विशेषता का बोध करता है। जैसे — बहुत मिठाई, दो मीटर कपड़ा आदि में मिठाई की मात्रा बहुत विशेषण से और कपड़े की लंबाई दो मीटर विशेषण से प्रकट होती है। विशेष्य प्रायः द्रव्यवाचक संज्ञाएँ होती हैं और ये संज्ञाएँ एकवचन में होती हैं।

इसके दो मुख्य भेद होते हैं — (क) निश्चित परिमाणवाचक और (ख) अनिश्चित परिमाणवाचक।

(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण — इसके द्वारा विशेष्य के परिमाण या मात्रा का निश्चित अर्थात् ठीक-ठीक बोध होता है। जैसे — एक लिटर दूध, ढाई मीटर कपड़ा, किलो भर चीनी। यहाँ दूध की मात्रा, कपड़े की लंबाई, चीनी का भार निश्चित रूप से अभिव्यक्त है। यह निश्चय बोधक या तो पहली लगी संख्याओँ (एक, ढाई आदि) के योग से या बाद में लगे भर आदि के योग से होता है।

(ख) अनिश्चित परिमाणबोधक विशेषण — इसके द्वारा विशेष्य के परिमाण या मात्रा का पता तो लगता है, किंतु वह ठीक-ठीक नापा-मापा-तौला हुआ नहीं होता है — वह अनिश्चित होता है, अन्दाजा मात्र होता है। बहुत, अधिक, जरा, तनिक, इतना, उतना, जितना, कितना, ढेर सारा, कुछ, थोड़ा, ज्यादा आदि। जैसे —

थोड़ी चीनी चाय में डाल दीजिए।
बिल्ली कुछ दूध पी गई।
उसका सारा परिवार आज मिलने आया था।

बहुत थोड़ा आदि के साथ — सा/सी — से लगा कर (बहुत-सी मिठाई, थोड़ा-सा नमक आदि) परिमाण के लगभग भाव को प्रकट करते हैं।

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