मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
|
|
हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
विशेषण की उद्देश्य और विधेय स्थिति
विशेष्यों के पूर्वविशेषणों के प्रयोग, जैसे — अच्छा लड़का, अच्छी लड़की
से आप भली भाँति परिचित हैं। व्याकरण में इन विशेष्य से पहले लगने वाले
विशेषणों को उद्देश्य विशेषण कहते हैं। किंतु विशेषणों का एक भिन्न
प्रयोग भी होता है। वह लड़का कितना सुंदर है। उसका पेन नीला है आदि वाक्यों
में सुदर/नीला विशेषण शब्द अपने विशेष्य लड़का/पेन की विशेषता तो बताते हैं,
किंतु वे वाक्य के विधेय अंश में क्रिया होने के ठीक पहले आते हैं। अतएव
व्याकरण में इस प्रकार के विशेषणों को विधेय विशेषण कहते हैं।
उद्देश्य और विधेय दोनों स्थितियों में विशेषण संज्ञा से अन्विति
करता है। अन्विति का शाब्दिक अर्थ है — अनु (पीछे +इ) (जाना) अर्थात् अनुसरण
करना। यह अनुसरण लिंग/वचन विभक्ति की दृष्टि से होता है अर्थात् विशेषण का
वही लिंग होगा, वही वचन होगा, वही विभक्ति होगी जो विशेष्य संज्ञा की है।
उदाहरणार्थ —
(मूल एकवचन) मोटा/लड़का कूद रहा है।
(मूल बहुवचन) मोटे/लड़के कूद रहे हैं।
(तिर्यक् एकवचन) उस मोटे/लड़के को देखो।
(तिर्यक् बहुवचन) उन मोटे/लड़कों को देखो।
इसी प्रकार —
(मूल एकवचन) मोटी लड़की कूद रही है।
(मूल बहुवचन) मोटी लड़कियाँ कूद रही हैं।
(तिर्यक् एकवचन) उस मोटी लड़की को देखो।
(तिर्यक् बहुवचन) उन मोटी लड़कियों को देखो।
यहाँ मोटा/मोटी विशेषण शब्द वही लिंग, वही वचन और विभक्ति
(मूल-तिर्यक्) ले रहे हैं जो विशेष्य संज्ञा की है। विधेयगत विशेषण भी लिंग
वचन में अनुगमन करता है, जैसे —
“वह लड़का कितना मोटा है”
“वह लड़की कितनी मोटी है”
“वे लड़के कितने मोटे हैं” आदि।
|