नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
|
0 |
डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
|
भारतीय कवितायें
मेघ राज
ओ ललित कल्पनायें कवि की,
कुछ कवि के काम भी आओ।
स्वप्न लोक से नाता तोड़ों,
मेघदूत बन करके जाओ।।१
कारे कजरारे मेघों को,
यह संदेश सुनाओ।
प्यासी धरती अम्बर प्यासा,
अब मत इतना तरसाओ।।२
जलचर • थलचर - नभचर प्यासे,
आ उनकी प्यास बुझा जाओ।
चढ़कर पवन सवारी पर,
धरती पर जल बरसाओं।।३
सावन सूखा-भादौ सूखा,
जीवन मरता प्यासा भूखा।
धर्म-कर्म क्यों अपना छोड़ा?
चारों ओर पड़ा है सूखा।।४
आओ गरजो जल बरसाओ।
या फिर आ हमको बतलाओ।।
लो मेरी आँखों से पानी।
आँसू से ही नदी बहाओ।।५
यह स्वीकार नहीं है तुमको,
आओ नाचो साथ में ठुमको।
वेदमन्त्र तब दादुर बाचे,
हरियाली तेरे संग में नाचे।।६
तुम तो हो जननी हरियाली की,
हरियाली लाती खुशियाली है.
तब बसन्त खुद ही आता है
साथ में भौरों को लाता है।
चमको चमको प्रकाश फैलाओ
अब न तरसाओ,
अब जल बरसाओ,
अब जल बरसाओ।।७
* *
|