नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
अगर तुम सूर्य की तरह चमकना चाहते हो तो सूर्य की तरह जलना सीखो।
दूसरों का लगाया अंकुश गिराने वाला और अपना लगाया उठाने वाला है।
अक्लमन्द आदमी बोलने से पहले सोचता है, बेवकूफ बोलने के बाद सोचता है।
जैसे सोनार चाँदी की मैल को दूर करता है, उसी तरह अक्लमन्द को चाहिए कि वह अपने पापों को हर वक्त थोड़ा-थोड़ा दूर करता रहे।
अक्लमन्द को इशारा और बेवकूफ़ को तमाचा।
योद्धा वह है जो संघर्ष की चाह रखता है मगर हार-जीत से बेखबर रहता है।
मनुष्य को क्या अच्छा लगेगा, इसका विचार करने से पहले इसका विचार करो कि ईश्वर को क्या अच्छा लगेगा?
स्वानुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है।
चतुर मनुष्य दूसरों के अनुभव को अपना लेता है। जिस रास्ते से चलकर दूसरे ने धोखा खाया उस रास्ते वह हरगिज नहीं जाता।
अत्युक्ति झूठ की सगी बहन है और लगभग उतनी ही दोषी है।
निकट सम्पर्क से पराया भी अपना लगता है और निरन्तर दूर रहने से अपना भी पराया लगता है।
समुद्र से भी अथाह क्या है? दुर्जनों का दुश्चरित्र।
बदनामी से मौत अच्छी।
नेक आदमी कभी नहीं मरता।
पतित मनुष्य का अन्न नहीं खाना।
सर्वोत्तम अध्यात्म, दिव्य ज्ञान की अपेक्षा दिव्य जीवन है।
खेती के सूख जाने पर वर्षा से क्या लाभ? समय चूक जाने पर पछताने से क्या लाभ?
बिना अवसर बोलना निरर्थक है।
ज्ञानियों का अज्ञानियों पर एक हक है; वह है उन्हें सिखाने का अधिकार।
प्रयत्न वगैर सब असम्भव है, यत्न और युक्ति से सब सम्भव है।
अनजान होना इतने शर्म की बात नहीं, जितना सीखने के लिये तैयार न होना।
मैंने अपने जीवन में यह बहुत देर से जाना कि 'मैं नहीं जानता' कहना कितना अच्छा है।
झूठ की उम्र लम्बी नहीं होती।
झठ बोलने वाले को न मित्र मिलता है, न पुण्य, न यश।
अरबी घोड़ा अगर दुबला पतला भी हो तो गदहों के पूरे अस्तबल से अच्छा है।
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